उत्तराखंड में निकाय चुनाव का परिणाम काफी रोचक है। एक ओर जहां देहरादून में 21 साल की युवती पार्षद बनी तो वहीं दूसरी ओर एक चाय की दुकान चलाने वाली युवती ने भी जीत का परचम लहराया और पार्षद बन .
हम बात कर रहे हैं श्रीनगर में चाय की दुकान चलाने वाली अंजना रावत की जो पार्षद बन गई हैं। वह निर्दलीय चुनाव लड़ी थी। संघर्ष की मिशाल है यह पहाड़ की बेटी।
श्रीनगर गढ़वाल की अंजना रावत ने न सिर्फ अपनी कठिन परिस्थितियों का सामना किया, बल्कि अपने संघर्षों के माध्यम से एक नई मिसाल कायम की। चाय की दुकान चलाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करने वाली अंजना ने यह साबित कर दिया कि मेहनत और साहस के बल पर सब कुछ हासिल किया जा सकता है।
तीलू रौतेली पुरस्कार से अंजना की मेहनत को मान्यता मिलना यह दर्शाता है कि राज्य सरकार उनकी जिंदादिली और संघर्ष को पहचानती है। इस जीत से न केवल अंजना, बल्कि हर उस व्यक्ति को प्रेरणा मिलती है जो अपने जीवन में संघर्ष कर रहा है।