उत्तराखंड से बड़ी खबर है.बता दे कि एक बार फिर से पंचायत चुनाव को लेकर संकट खड़ा हो गया है. उत्तराखंड की पंचायतों में प्रशासकों की पुनर्नियुक्ति संबंधी अध्यादेश को राजभवन ने बिना मंजूरी लौटा दिया है। जिसके कारण 10760 त्रिस्तरीय पंचायतें अभी खाली रहेंगी। इससे पंचायतों में सांविधानिक संकट पैदा हो गया है।
प्रशासकों का कार्यकाल खत्म होने के बाद पुनर्नियुक्ति का पंचायती राज विभाग ने आनन-फानन में प्रस्ताव तैयार किया गया था। विधायी विभाग की आपत्ति के बावजूद अध्यादेश को राजभवन भेजा गया था।
अब विशेष विधानसभा सत्र ही संशोधन का एकमात्र रास्ता है। कल होने वाली कैबिनेट बैठक में जिलाधिकारी को पंचायत के लिए अधिकृत करने का प्रस्ताव लाया जा सकता है। विधानसभा में साल 2021 में विधेयक आया था।
प्रदेश में हरिद्वार की 318 ग्राम पंचायतों को छोड़कर 7478 ग्राम पंचायतें, 2941 क्षेत्र पंचायतें और 341 जिला पंचायतें मुखिया विहीन हो गई हैं। राज्य में पहली बार इस तरह की स्थिति बनी है।