भारत छोड़ो आंदोलन की 82 वीं जयंती पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने गाँधीजी की मूर्ति पर किया माल्यार्पण, शहीद आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि की अर्पित

देहरादून : भारत छोड़ो आंदोलन की 82 वीं जयंती पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं नें प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष करण माहरा,वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना और महानगर अध्यक्ष डॉ जसविन्दर सिंह गोगी के नेतृत्व में गाँधी पार्क स्थित गाँधीजी की मूर्ति पर माल्यार्पण किया‌। गाँधीजी सहित अन्य आंदोलनकारियों को याद करते हुए भारत छोड़ो आन्दोलन में शहीद हुए आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित की व श्रीमति सरोजनी नायडू, डाक्टर राजेंद्र प्रसाद, श्री लाल बहादुर शास्त्री जी समेत तमाम आंदोलनकारी स्वतंत्रा संग्राम सेनानियों के योगदान को याद किया। इस अवसर पर प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने कहा की भारत की आजादी के इतिहास में अगस्त क्रांति दिवस का जिक्र स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है । उन्होंने कहा कि आज हमको इस बात पर गर्व है कि हम इस कांग्रेस के सिपाही हैं जिसने इस देश की आजादी के लिए बलिदान दिए और देश की आजादी के बाद इस देश की एकता और अनेकता को अक्षणु रखने की लिए भी बलिदान और कुर्बानियां दीं। उन्होंने कहा कि आज पूरा उत्तराखंड कांग्रेस की ओर उम्मीद की नजरों से देख रहा है और ये हर कांग्रेस कार्यकर्ता की जिम्मेदारी है कि वो लोगों की उम्मीद के अनुसार उत्तराखंड में कांग्रेस की वापसी के लिए संघर्ष कर। इस अवसर पर कार्यक्रम संयोजक उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि 08 अगस्त को मुम्बई में तत्कालीनन कांग्रेस कार्यसमिति द्वारा गाँधी जी के नेतृत्व में आजादी के संघर्ष का सबसे व्यापक और निर्णायक आंदोलन छेड़ने का आह्वान किया गया। इसके बाद 09 अगस्त को और उसके बाद पूरे देश में अंग्रेजों भारत छोड़ो के स्वर गूंजने लगे। अगस्त क्रांति आंदोलन का आह्वान चार स्वतंत्रता सेनानियों

मौलाना आजाद, पंडित नेहरू, सरदार पटेल और आखिर में महात्मा गांधी ने जनसभा को संबोधित करते हुए किया गाँधीजी ने इस आन्दोलन के लिए ही लोगों को करो या मरो का नारा दिया। इसके बाद पूरे देश मे आंदोलन की अभूतपूर्व लहर दौड़ गई थी। श्री धस्माना ने कहा कि भारत छोड़ो आन्दोलन में हजारों आंदोलनकारियों का बलिदान हुआ और लाखों लोग देश भर में गिरफ्तार हुए। उन्होंने कहा की अंग्रेजी हुकूमत के तख्त पर यह आखिरी कील साबित हुआ और अंतोगत्वा पंद्रह अगस्त 1947 को अंग्रेजों को भारत को आजादी देनी पड़ी। माल्यार्पण के दौरान आंदोलन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए डॉ जसविंदर सिंह गोगी ने कहा कि दरअसल भारतवासी क्रिप्स मिशन की निरर्थकता से बहुत निराश थे। ऊपर से अंग्रेजों ने भारतीयों को उनकी इच्छा के खिलाफ द्वितीय विश्वयुद्ध में भी शामिल कर लिया था। आर्थिक संकट और अव्यवस्था की भी भयंकर स्थिति पैदा हो गयी थी। ब्रिटिश सरकार की हठधर्मिता के खिलाफ गांधीजी ने अपने महान नेतृत्व का परिचय दिया तथा भारत छोड़ो के रूप में निर्णायक आंदोलन प्रारम्भ किया।

इस आन्दोलन को में छात्र, कर्मचारी, महिला, मजदूर आदि सभी वर्गों का इतना अधिक समर्थन मिला कि इसके बाद अंग्रेजों के पैर भारत से उखड़ गए और ब्रिटिश सरकार ने भारत से जाने का मन बना लिया। क्योंकि बड़े राष्ट्रीय नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था इसलिये राष्ट्रीय आन्दोलन में अनेक युवा नेताओं को अपनी योग्यता और संगठन क्षमता दिखाने का अवसर मिला। इसलिए इस आंदोलन के दौरान अरुणा आसफ अली, लोहिया, लाल बहादुर शास्त्री केरूप में नवीन और युवा नेतृत्व का भी देश को मिला।

इस अवसर पर पूर्ण सिंह रावत, नवीन जोशी, याकूब सिद्दीकी, हेमा पुरोहित, मन मोहन शर्मा, मुकीम अहमद,शर्जुन सोनकर, संगीता गुप्ता, ललित भद्री, राजेश पुंडीर, अमीचंद सोनकर, आनंद सिंह पुंडीर, आदर्श सूद, उदय सिंह पंवार, सावित्री थापा, धनश्याम वर्मा,आदि उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *