देहरादून : उत्तराखंड पुलिस और एसटीएफ के लिए गौरव का पल है। बता दें कि डाटा सिक्योरिटी काउंसिल आफ इंडिया द्वारा स्पेशल टास्क फोर्स (साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन देहरादून) को भारत के टॉप 3 साइबर इकाइयों में से एक घोषित किया गया।
मुख्यमन्त्री पुष्कर सिंह धामी के “विजन सरलीकरण, समाधान एवं निस्तारण” के अन्तर्गत और डीजीपीअभिनव कुमार के दिशा निर्देशन में साईबर धोखाधड़ी करने वालों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करते हुये साईबर पीड़ितो को न्याय दिलाया जा रहा है। इसी क्रम में स्पेशल टास्क फोर्स ने जहां एक तरफ अभियोग पंजीकृत कर साइबर अपराधियों को देश भर से पड़कर जेल भेजा जा रहा है वही निरंतर दक्षता बढ़ाने के लिए कैपेसिटी बिल्डिंग का निरंतर प्रयास किया जा रहा है |
डाटा सिक्योरिटी काउंसिल ऑफ़ इंडिया द्वारा देश भर से 40 विभिन्न स्टेट एवं एजेंसीज में से प्रथम 3 स्टेट एजेंसीज का चयन किया जिनके द्वारा Excellence in Capacity Building for Law Enforcement Agency की श्रेणी में उत्तराखंड पुलिस का चयन भी हुआ।
उत्तराखण्ड एसटीएफ एसटीएफ आयुष अग्रवाल की अगुवाई में स्पेशल टास्क फोर्स के अधीन साइबर थाने देहरादून में विगत एक वर्ष में निरंतर विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम अभियान चलाए हैं | इस क्रम में मार्च एवं अप्रैल 2023 में प्रदेश के सभी जनपदों के साइबर सेल एवं पुलिस कर्मियों को एक हफ्ते का साइबर से संबंधित बेसिक एवं एडवांस साइबर प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।
उत्तराखंड साइबर पुलिस के ढांचे में वर्तमान में सुरक्षा चक्र चलाया जा रहा है जिस क्रम में स्पेशल टास्क फोर्स उत्तराखंड के लिए पुलिस की नोडल एजेंसी है जो लगातार भारत के इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) के साथ समन्वय स्थापित कर साइबर अपराधों के रोकथाम, उनके अनावरण एवं प्रशिक्षण में निरंतर प्रयास कर रही है।
साइबर थाने देहरादून को I4C से प्राप्त सूचना को व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से जनपदों के साइबर सेल को जेसीईटी लिंकेज को शेयर किया जाता है | JCIT Linakges के माध्यम से डिप्टी एसपी स्पेशल ऑपरेशन द्वारा संबंधित अपराधियों को वारंट भी पर अन्य राज्यों से गिरफ्तार करने में सहायता प्रदान होती है | इस प्रकार से उत्तराखंड में गिरफ्तार किसी भी साइबर अपराधियों के जेसीआईटी लिंकेज (JCIT Linakges) को साइबर थाने देहरादून द्वारा i4 सीसी साझा किया जाता है |
साइबर थाना देहरादून देश का सर्वप्रथम थाना था जिसने साइबर के मामलों में पीड़ित की मदद हेतु Zero FIR की प्रक्रिया को अपनाया जिसको बाद में गृह मंत्रालय के I4C द्वारा भी सराहा गया है। सरकार के CCPWC प्रोजेक्ट के तहत दिए गए लक्षण को स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा 100% (100 प्रतिशत ) पूर्ण किया गया है एवं कुछ लक्ष्य को 160 प्रतिशत (160%) पूर्ण किया गया है | इस प्रोजेक्ट के माध्यम से साइबर थाना देहरादून द्वारा माननीय न्यायाधीशों अभियोजन अधिकारियों एवं पुलिस अधिकारियों आदि को साइबर संबंधित विस्तृत प्रशिक्षण भी प्रदान किया है |
300 पुलिस कर्मियों को प्रारंभिक प्रशिक्षण, 148 कर्मियों को Basic cum Advanced digital investigation, जिलों में पढ़ाने वाले 30 कर्मियों को Training of trainers (ToT) प्रशिक्षण दिया गया है।
इसके अतिरिक्त पुलिस उपाधीक्षक साइबर थाना अंकुश मिश्रा द्वारा तीन दिवसीय साइबर प्रशिक्षण प्रोग्राम झारखंड पुलिस को रांची में दिया गया , दो दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण I4C के सहयोग से पूरे देश की समस्त पुलिस एवं सेंट्रल एजेंसीज के लगभग 1000 ऑफिसर एवं कर्मियों को साइबर संबंधित प्रशिक्षण दिया गया |
इसके अतिरिक्त स्पेशल टास्क फोर्स देहरादून द्वारा समय-समय पर विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जहां पर स्कूल कॉलेज के बच्चे अध्यापकों को साइबर क्राइम के संबंध में जागरूक किया जाता है | विभिन्न बैंक, वित्तीय संस्थानों के लिए भी साइबर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है | पूरे क्रम में लगभग 70000 से ज्यादा लोगों को अभी तक साइबर संबंधित जागरूकता प्रदान की गई है | स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा ही इस साल साइबर कॉमिक्स का भी एक नया प्रयोग किया गया जिसको देशभर में सराहना दी गई है जिससे बच्चों के माध्यम से भी साइबर जागरूकता करने में सहायता प्रदान हो रही है|
यह सभी प्रयास अभियोगों के अनावरण के अतिरिक्त किया जा रहे हैं जहां साइबर थाने देहरादून द्वारा देश भर से गिरफ्तारियां की जा रही है| एसटीएफ एसएसपी आयुष अग्रवाल की अगुवाई में स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा किए जा रहे सभी प्रयासों को डाटा सिक्योरिटी काउंसिल आफ इंडिया द्वारा सराहा गया है एवं भारत के प्रथम तीन साइबर एकायों में से चयन किया गया है।