देहरादून : उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग यानि UKSSSC की हालिया परीक्षा को लेकर उठे विवाद ने सूबे की राजनीति में हलचल मचा दी है। धामी सरकार ने मामले को बेहद गंभीरता से लिया है और अब पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए विशेष जांच दल का गठन कर दिया गया है। साथ ही हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज इस जांच की निगरानी करेंगे।
21 सितम्बर को सम्पन्न हुई अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तर की परीक्षा में हरिद्वार के एक केंद्र से तस्वीरें वायरल होने के बाद विवाद खड़ा हो गया। परीक्षा के दौरान एक परीक्षार्थी द्वारा पेपर की कुछ तस्वीरें खींचकर बाहर भेजी गईं। यह मामला सामने आते ही पुष्कर धामी की सरकार ने तुरंत संज्ञान लिया।
धामी सरकार की सख्ती का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि घटना के 48 घंटे के भीतर ही मुख्य आरोपी खालिद मलिक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उसकी बहन साबिया मलिक को भी हिरासत में लिया गया, जबकि एक अन्य बहन हीना और सहयोगी सुमन चौहान की संदिग्ध भूमिका पर भी जांच जारी है। सरकार ने साफ संदेश दिया है कि चाहे कोई भी हो, दोषी बच नहीं पाएगा और सलाखों के पीछे डाला जाएगा।
परीक्षा सुबह 11:00 बजे शुरू हुई और 35 मिनट बाद, 11:35 बजे, परीक्षा के तीन पन्ने केंद्र से बाहर भेजे जाने की सूचना सामने आई। सरकार ने साफ किया है कि यह नकल माफिया या संगठित गिरोह का मामला नहीं है, बल्कि एक सीमित विवाद है जो सिर्फ एक केंद्र तक सीमित है। बावजूद इसके, सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए पारदर्शी और निष्पक्ष जांच की घोषणा की है।
मुख्य सचिव आनंद वर्द्धन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि इस पूरे मामले की जांच एडिशनल एसपी स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में गठित SIT करेगी। SIT का दायरा पूरे प्रदेश तक होगा। निष्पक्षता बनी रहे, इसके लिए जांच की निगरानी हाईकोर्ट के एक सेवानिवृत्त जज करेंगे।
परीक्षा को लेकर युवाओं का गुस्सा स्वाभाविक था, लेकिन इस आक्रोश को कुछ राजनीतिक दलों और संगठनों ने भुनाने का प्रयास किया। स्वाभिमान मोर्चा जैसे संगठनों ने छात्रों की भावनाओं की आड़ में प्रदर्शन को राजनीतिक रंग देने और अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश की। सरकार का कहना है कि युवाओं का हित सर्वोपरि है, लेकिन राजनीतिक स्वार्थ के लिए इस मुद्दे को अनावश्यक रूप से भड़काना उचित नहीं। यह परीक्षा प्रक्रिया और मेहनती अभ्यर्थियों के साथ अन्याय है।
धामी सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि जब तक SIT की जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक आयोग परीक्षा से संबंधित आगे कोई कार्रवाई नहीं करेगा। एक माह की अवधि में पूरी जांच कर दोषियों की पहचान की जाएगी और उन्हें सख्त सजा दी जाएगी। विवादों के केंद्र में रहे हरिद्वार के परीक्षा केंद्र की भी विशेष जांच होगी। यहां अगर किसी स्तर पर लापरवाही सामने आई, तो संबंधित अधिकारी या कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा।
इस बीच, आयोग भविष्य की परीक्षाओं के लिए भी अतिरिक्त सतर्कता बरतने जा रहा है। परीक्षा केंद्रों पर सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया जाएगा, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में जांच होने से छात्रों और आमजन को भरोसा रहेगा कि किसी भी स्तर पर समझौता नहीं होगा। सरकार का स्पष्ट संदेश है कि युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों को कड़ी सजा मिलेगी और परीक्षा प्रणाली की साख पर कोई आंच नहीं आने दी जाएगी।
यानी साफ है कि धामी सरकार ने इस पूरे प्रकरण को बेहद गंभीरता से लेते हुए एक सख्त और पारदर्शी जांच की राह चुन ली है। विपक्ष भले ही इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहा हो, लेकिन सरकार का फोकस केवल छात्रों का हित और परीक्षा प्रणाली की पवित्रता बनाए रखना है। अब सभी की नजरें SIT जांच की रिपोर्ट पर टिकी हैं।