देहरादून : उत्तराखंड समेत सोशल मीडिया में इन दिनों यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामला और विधानसभा में बैकडोर में हुई भर्ती को लेकर हल्ला मचा हुआ है। पूर्व विधानसभा स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल और प्रेमचंद्र अग्रवाल के कार्यकाल के दौरान हुई भर्तियों को लेकर लेटेस्ट सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे हैं जिसके बाद अब सरकार की किरकिरी हो रही है।
कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियां और बेरोजगार युवा सड़क पर उतर आए हैं। उनके परिजनों में आक्रोश है। यह मुद्दा अब देश भर की मीडिया की सुर्खियां बन गया है और उत्तराखंड सरकार की किरकिरी हो रही है क्योंकि अधिकतर पेपरों में धांधली के सबूत सामने आए है। वहीं अभी तक एसटीएफ द्वारा कई नकल माफिया गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
वहीं विधानसभा में बैक डोर की भर्ती को लेकर पूर्व स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि हर कुंजवाल उनका रिश्तेदार नहीं। कहा कि हां उन्होंने अपने बेटे और बहू को नौकरी दी वह योग्यता के अनुसार.
पूर्र विस अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि मेरा बेटा और बहू बेरोजगार थी, दोनों पढ़े-लिखे थे।अगर 150 से अधिक लोंगों में मैंने अपने परिवार के दो लोगों को नौकरी दे दी तो कौन सा पाप किया। कहा कि मेरे कार्यकाल में कुल 158 लोगों को विधानसभा में तदर्थ नियुक्ति दी गई थी। इनमें से आठ पद पहले से खाली थे। 150 पदों की स्वीकृति मैंने तत्कालीन सरकार से ली थी।
पूर्व स्पीकर ने कहा कि मैं इस बात को स्वीकार करता हूं कि मैंने अपनी विधानसभा के 20 से 25 लोगों को नौकरी पर लगाया था। लेकिन इसके अलावा तमाम लोग भाजपा और कांग्रेस नेताओं की सिफारिश पर रखे गए थे। संविधान में अनुच्छेद 187 के तहत राज्य विधानसभा अध्यक्ष को यह अधिकार प्राप्त है कि वह जरूरत के अनुसार विधानसभा में तदर्थ नियुक्तियां कर सकता है। कहा कि सोशल मीडिया में इस बात को लेकर भी चर्चा हो रही है कि मैंने अपने तमाम रिश्तेदारों को नौकरी पर रखा लेकिन बता दूं कि हर कुंजवाल मेरा रिश्तेदार नहीं।