कांग्रेस के बजाय अपने दल का अनुशासन देखें प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट और मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान -गरीमा दसौनी

देहरादून – उत्तराखंड बीजेपी में जन्मे नए विवाद पर उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने चुटकी ली है ।

गरिमा दसौनी ने कहा कि उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट और मीडिया प्रभारी को नसीहत देते हुए देखा कहा कि वह पहले अपनी दल का अनुशासन और गंदगी साफ करें कांग्रेस की चिंता करना छोड़ दें।
दसौनी ने कहा कि पहले पुरोला विधायक दुर्गेश्वर लाल ने अपनी ही सरकार में मंत्री सुबोध उनियाल पर सार्वजनिक तौर से बहुत ही गंभीर आरोप लगाए, यह और बात है कि अगले ही दिन दुर्गेश्वर लाल अपनी बात से पलट गए ,यह भी भाजपा का चाल चरित्र चेहरा दिखता है। दसोनी ने कहा कि अभी उस विवाद से भाजपा ठीक तरह से पल्ला नहीं छुड़ा पाई थी की अंकिता के पिता की चिट्ठी ने तो जैसे भाजपा के भीतर भूचाल ला दिया, चिट्ठी में आरएसएस के वरिष्ठ नेता पर गंभीर आरोप लगाते हुए जांच की बात कही गई है। दसौनी ने कहा कि भाजपा की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही।
और अब ताजा प्रकरण खानपुर से पूर्व भाजपा विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन का है जिन्होंने प्रेस वार्ता के माध्यम से भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक पर अपनी ही पार्टी के प्रत्याशियों को हरवाने के लिए षडयंत्र रचने जैसा गंभीर आरोप लगाया है। दसौनी ने कहा कि कांग्रेस बहुत पहले से कहती चली आ रही है कि भाजपा में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है।
दसौनी ने कहा कि आए दिन भारतीय जनता पार्टी के अंदर जो विवादसपद स्थिति उत्पन्न हो रही है उसी को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बौखला गए हैं और उनका खुद के बयानों पर संयम नहीं रहा।

गरिमा दसौनी ने कहा की उत्तराखंड कांग्रेस तो सिर्फ अंकिता भंडारी के माता-पिता के द्वारा आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी पर लगाए गए गंभीर आरोपो की जांच करने की बात कह रही है ।उत्तराखंड बीजेपी इतना बिलबिला क्यों रही है?

दसौनी ने कहा की भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और मीडिया प्रभारी इतना आश्वस्त होकर कैसे कह सकते हैं कि उनका पदाधिकारी दोषी नहीं?
दसौनी ने कहा कि इससे अधिक साहस तो विनय गोयल में था जिन्होंने स्वीकार तो किया की प्रचारक कोई खुदा का बंदा नहीं होता जो गलती नहीं कर सकता ।

गरिमा दसौनी ने कहा कही ऐसा तो नहीं की भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय में अपनी अलग से एक अदालत लगती है जहां वह खुद ही निर्णय ले लिया करते हैं कौन दोषी हो सकता है कौन नहीं? दसौनी ने भाजपा को याद दिलाते हुए कहा की पुराने वाले महामंत्री संजय कुमार तो दोषी निकले थे अगर नहीं होते तो रात के अंधेरे में चोर दरवाजे से नही भेजे गए होते? विनय गोयल तो दोषी निकले थे नहीं होते तो महानगर अध्यक्ष के पद से क्यों हटाया गया और आज तक दूसरा पद क्यों नहीं दिया गया।

महेश नेगी तो दोषी निकले अगर नहीं थे तो फिर विधायक के टिकट से वंचित क्यों रखे गए?
तो आखिर महेंद्र भट्ट ने और मनवीर चौहान ने कौन सी अदालत में सुनवाई करी जो उनको ऐसा लग रहा है कि आरोप झूठे हैं?और उनको यह कैसे भान हुआ कि अजय कुमार vip हो ही नहीं सकते?अगर जांच हुई और अंकित के पिता का शक सच निकला तो?

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