भाजपा 8 जून 2025 से भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 11 वर्षों के कार्यकाल को सेवा और सुशासन के रूप में मनाने को उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने हास्यास्पद बताया।दसौनी ने कहा कि केंद्र सरकार का पिछला ग्यारह वर्षों का कार्यकाल कुशासन और कुनीतियों का काला लेखा-जोखा है।गरिमा ने कहा बीते 11 वर्षों को यदि एक वाक्य में समेटा जाए तो वह होगा “जनता के साथ छल, लोकतंत्र पर प्रहार और देशहित के नाम पर निजी हितों का विस्तार।”
गरिमा दसौनी ने कहा कि 2014 में बड़े बड़े वादों और भारी जनसमर्थन के साथ सत्ता में आई भाजपा सरकार ने जनता को ‘अच्छे दिन’ का सपना दिखाया था। परंतु बीते एक दशक से अधिक समय में जो कुछ भी सामने आया, वह निराशाजनक, विभाजनकारी और विनाशकारी रहा।
गरिमा दसौनी ने कहा पिछला एक दशक देश के लोकतंत्र और संस्थाओं पर हमला, संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग, सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियों का विपक्ष के खिलाफ राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया।मोदी सरकार के नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसलों से लाखों छोटे व्यापार तबाह हो गए, बेरोजगारी रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ गई, और देश में आर्थिक ,सामाजिक और राजनैतिक असमानता की खाई बढ़ती गई।
गरिमा दसौनी ने कहा कि केंद्र सरकार के 11 साल का कार्यकाल सामाजिक सौहार्द पर चोट का रहा।
देश में धार्मिक ध्रुवीकरण और अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते हमले हुए, जिन्हें सत्ता की मौन सहमति प्राप्त होती रही।भाजपा सरकार में कोविड कुप्रबंधन का खामियाजा गरीब जनता को भुगतना पड़ा। महामारी की दूसरी लहर में हजारों जानें गईं, लेकिन सरकार ने ज़िम्मेदारी लेने के बजाय प्रचार को प्राथमिकता दी।किसानों और श्रमिकों की उपेक्षा की गई। तीन कृषि कानूनों ने किसानों को आंदोलित किया, पर सरकार ने उनकी आवाज को नज़रअंदाज़ किया जब तक यह आंदोलन 700 किसानो की जान नहीं लील गया।भजपा की केंद्र सरकार का रवैया चीन के साथ नरम रहा, लद्दाख में चीन की घुसपैठ के बावजूद सरकार की चुप्पी राष्ट्र की सुरक्षा के प्रति चिंता का विषय बनी रही।
गरिमा दसौनी ने कहा कि जब पिछले 11 सालों की समीक्षा करते हैं तो यह स्पष्ट होता है कि यह दौर ‘सुशासन’ नहीं, बल्कि सुनियोजित कुशासन और सत्ता के केंद्रीकरण का रहा है।देश की जनता अब बदलाव चाहती है—एक ऐसी सरकार जो जवाबदेह हो, जनहित में निर्णय ले, और लोकतंत्र की गरिमा को बनाए रखे।