देहरादून एक्सप्रेसवे निर्माण करने वाली कंपनी ने बहुत बड़ा फ्रॉ़ड किया है। बता दें कि हाईवे निर्माण के नाम पर पैसा उठाकर एजेंसी ने दूसरी परियोजना में लगा दिया। इसकी जानकारी मिलते ही राज्य में हड़कंप मच गया है. संबंधित विभागीय अधिकारियों के हलचल मच गई है। बता दें कि इससे एक साल बीत जाने के बावजूद एक्सप्रेसवे का 10 काम भी पूरा नहीं हो सका।इस खुलासे के बाद सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के निर्देश पर नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने संबंधित एजेंसी पर कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि मार्च अंत तक कंपनी ब्लैक लिस्ट कर दी जाएगी औऱ साथ ही बैंक गारंटी जब्त हो सकती है। एनएचएआई ने कंपनी को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न टेंडर निरस्त कर दिया जाए।
हालांकि दबाव के बाद कंपनी ने कुछ हिस्सों में काम शुरू किया है लेकिन एनएचएआई का मानना है कि ऐसे में परियोजना तय समय पर पूरी करना मुश्किल है। इस बीच, दूसरी निर्माण एजेंसी नियुक्त करने की प्रक्रिया पर मंथन शुरू हो गया है। पहले कोशिश होगी कि टेंडर प्रक्रिया में बाकी कंपनियों को मौका दिया जाए। यदि सहमति नहीं बनी तो नए सिरे से टेंडर किया जाएगा।
65 करोड़ की पहली किस्त जारी होते ही अटका काम एक्सप्रेसवे के दूसरे चरण में सड़क निर्माण के लिए निजी कंपनी को जनवरी 2020 में 1350 करोड़ का वर्क ऑर्डर जारी हुआ। कंपनी ने लोनी बॉर्डर से बागपत (ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे) तक निर्माण भी शुरू किया। एनएचएआई ने 65 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी की, लेकिन उसके बाद आगे काम नहीं किया। करीब एक वर्ष बीत जाने पर एनएचएआई ने गहनता से जांच की तो पता चला कि कंपनी संबंधित खाते से 65 करोड़ रुपये अपने अन्य प्रोजेक्ट के लिए निकाल कर ले गई।