देहरादून के बहूचर्चित हत्याकांड में आरोपी को ‘सजा-ए-मौत’, 5 लोगों को उतारा था मौत के घाट

देहरादून के आदर्श नगर में साल 2014 यानी की सात साल पहले हुए 5 हत्याओं के दोषी हरमीत सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई है। देहरादून की एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज आशुतोष कुमार मिस्र की अदालत द्वारा सुनाई गई।

आपको बता दें कि देहरादून के आदर्श नगर में एक ही परिवार के पांच सदस्यों को मौत के घात उतारने वाले आरोपी हरमीत सिंह को बीते दिन बहुचर्चित हत्याकांड में पंचम अपर न्यायाधीश आशुतोष मिश्र की अदालत ने दोषी करार दिया था। वहीं आज हरमीत की सजा पर सुनवाई थी। हरमीत को सजा-ए-मौत दी गई।

आपको बता दें कि हरमीत ने संपत्ति के लिए 7 साल पहले दीपावली के दिन पिता जय सिंह, सौतेली मां कुलवंत कौर, बहन हरजीत कौर और भांजी सुखमणि की चाकूओं से गोदकर हत्या कर दी थी। उसकी सजा पर अदालत आज अपना फैसला सुनाया। इस मामले में हरजीत के बेटे कमल की गवाही सबसे अहम मानी गई। वह इस जघन्य वारदात का एकमात्र चश्मदीद है। हरमीत ने कमल पर भी हमला किया था, मगर वह बच गया। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता राजीव कुमार ने बताया कि इस जघन्य वारदात के वक्त हरजीत गर्भवती थी। ऐसे में उसके गर्भ में मौजूद शिशु की मौत को भी हत्या माना गया। वारदात का पर्दाफाश तब हुआ, जब अगले दिन सुबह करीब साढ़े 10 बजे जय सिंह की नौकरानी राजी काम करने के लिए उनके घर पहुंची. हरमीत ने उसे घर से जाने के लिए कहा.

नौकरानी ने जय सिंह के भतीजे और मुकदमे में शिकायतकर्ता अजीत सिंह को फोन करके बताया कि हरमीत घर का काम कराने से मना कर रहा है। अजीत ने जय सिंह को फोन किया, लेकिन फोन कट गया। दोबारा फोन किया तो हरमीत से बात हुई। अजीत ने जब जय सिंह के बारे में पूछा तो हरमीत ने कहा कि वह कहीं गए हुए हैं। इस पर अजीत ने हरमीत से कहा कि गेट खोलो और राजी को घर का काम करने दो। हरमीत ने दरवाजा खोल दिया। राजी घर के अंदर दाखिल हुई तो हर तरफ खून बिखरा हुआ था। जय सिंह, कुलवंत कौर, हरजीत कौर और सुखमणि खून से लथपथ पड़े थे। राजी चीखते हुए बाहर आ गई और इसकी सूचना अजीत को दी।

अजीत घटनास्थल पर पहुंचे तो देखा कि परिवार के सभी सदस्य अलग-अलग कमरों में खून से लथपथ पड़े थे। उस समय हरजीत का छह साल का बेटा कमल एक कमरे में घायल अवस्था में बैठा था। अजीत ने तुरंत कमल को अपनी सुरक्षा में लेते हुए पुलिस को सूचना दी। कमल ने पुलिस को बताया कि नाना-नानी, मां और बहन को मामा हरमीत ने मारा है। उसने कमल को भी मारने का प्रयास किया था।

इस मामले में कैंट कोतवाली में हरमीत के खिलाफ धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास) और 538 (गर्भवती बहन को मौत के घाट उतारने) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता बीडी झा, प्रीति झा और प्रियंका झा ने भी पैरवी की।

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