प्रदेश सरकार को सत्ता में रहने का नैतिक अधिकार नहीं, सर्वोच्च न्यायालय भी अगर सरकार के मुखिया के खिलाफ कर रहा इतनी नकारात्मक टिप्पणी -सूर्यकांत धस्माना                                             

 

उच्चतम न्यायालय की मुख्यमंत्री पर टिप्पणी व एक कैबिनेट मंत्री पर आय से अधिक संपत्ति का मुकद्दमा कायम करने के लिए न्यायालय द्वारा राज्य मंत्री परिषद को मामला संस्तुति के लिए भेजा जाना उत्तराखंड में डबल इंजन की सरकार का हाल बयां कर रहा है।

यह बात आज उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने आज अपने कैंप कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कही। कहा कि प्रदेश में ध्वस्त पड़ी कानून व्यवस्था, महिलाओं के विरुद्ध रोज आना घट रही हिंसा बलात्कार जैसी जघन्य घटनाएं , चेन व मोबाइल स्नैचिंग, फोन और दिन दहाड़े हो रही लूट और डकैती की घटनाओं के बाद अब देश का सर्वोच्च न्यायालय भी अगर सरकार के मुखिया के खिलाफ इतनी नकारात्मक टिप्पणी कर रहा है जिससे यह पता चल रहा है कि राज्य में लोकशाही नही बल्कि राजशाही या तानाशाही चल रही है और विजिलेंस कोर्ट एक कैबिनेट मंत्री के खिलाफ मुकदमा दायर करने के लिए कैबिनेट की संस्तुति का इंतजार कर रहा है ऐसे में प्रदेश की सरकार को एक मिनट भी सत्ता में बने रहने का अधिकार नहीं है। श्री धस्माना ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने राजा जी नैशनल पार्क के निदेशक पद पर आई एफ एस राहुल की नियुक्ति पर जिस प्रकार की टिप्पणी की है वह अपने आप में प्रदेश में चल रही सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्न चिन्ह है क्योंकि राज्य के मंत्रिपरिषद की सामूहिक जिम्मेदारी होती है और अगर सर्वोच्च न्यायालय को यह कहना पड़ रहा है कि राज्य में मुख्यमंत्री कोई राजा नहीं है इसका मतलब सरकार में निर्णय किस तरह हो रहे हैं यह अंदाजा लगाया जा सकता है। धस्माना ने कहा कि मुख्यमंत्री राज्य के गृहमंत्री भी हैं और राज्य में जिस तरह से अपराधी बेखौफ हो गए हैं उसका एक नहीं एक हजार उदाहरण हैं जिसमे मुख्य रूप से रिलाइंस डकैती, अंकिता भंडारी हत्या कांड, हरिद्वार में डकैती, पत्रकार योगेश डिमरी पर हमला कुछ हाई लाइटर्स हैं.

सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि लगातार दो बार राज्य विधानसभा चुनावों व तीन बार लोकसभा चुनाव जीत कर भाजपा अपने आप को अजेय समझने लगी है और उसके नेताओं ने राज्य को अपनी जागीर समझ लिया है इसलिए अब वो लोकतांत्रिक मूल्यों को त्याग कर तानाशाही रवैया अपना कर मन मर्जी के जनविरोधी निर्णय ले रही है जिसको अब जनता सहन नहीं करेगी ।

 

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