देहरादून : उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की मुश्किल एक बाऱ फिर से बढ़ गई है। बता दें कि पूर्व सीएम के सलाहकारों से जुड़ा संबंधित एक और मामला हाईकोर्ट नैनीताल पहुंच गया। इस बार उनके सलाहकारों पर निजी भूमि खरीदने के बाद उस जगह पर सरकारी बजट से पुल निर्माण का आरोप है। बता दें कि हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व सीएम के खिलाफ सीबीआइ जांच का आदेश दिए थे। इस आदेश के खिलाफ उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से स्थगन आदेश लिया था।
अब हाई कोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सलाहकारों की ओर से भूमि खरीदने के बाद वहां सरकारी बजट से पुल निर्माण के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की गई। कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन सप्ताह के भीतर इस मामले में आपत्ति दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही याचिकाकर्ता को भी ठोस सबूत कोर्ट में पेश करने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार उमेश कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान उक्त आदेश दिए। याचिका में कहा गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पूर्व सलाहकार धीरेंद्र पंवार व मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट ने पद का प्रभाव दिखाकर 45 बीघा से अधिक जमीन कौड़ियों के भाव खरीद ली।
उन्होंने देहरादून की बंजर भूमि पर आबादी दिखाकर वहां सरकारी धन से नदी पार करने के लिए भारी भरकम पुल बनवा दिया। इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है। इनके द्वारा सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया, जिसकी जांच की जाए। मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन सप्ताह के भीतर आपत्ति दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही याचिकाकर्ता को भी ठोस सबूत कोर्ट में पेश करने को कहा है।










