मुख्यमंत्री मंत्री होता है तो पूरे प्रदेश की जनता के लिए होता है और डीजीपी होता है तो पूरी प्रदेश की जनता के लिए होता है यानी कि पूरे प्रदेश की जनता का हक है अपनी समस्या मुख्यमंत्री और डीजीपी को बताने का लेकिन आज हल्द्वानी में कुछ ऐसा हुआ जिसके बाद इन सवालों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
जी हां नैनीताल के हल्द्वानी कोतवाली परिसर में गुरुवार को उत्तराखंड डीजीपी अभिनव कुमार का स्थानीय लोगों के साथ जन संवाद कार्यक्रम था. इस कार्यक्रम में उस समय हंगामा हो गया जब उत्तराखंड के दिव्यांग लोक गायक दीपक सुयाल ने कार्यक्रम स्थल के बाहर धरना देकर आरोप लगाया कि पुलिस उनको अंदर नहीं जाने दे रही है. देखते ही देखते मामला काफी बढ़ गया. हालांकि, पुलिस की ओर से भी इस मामले पर प्रतिक्रिया आई है.
दीपक सुयाल का आरोप है कि वो अपनी समस्याओं को लेकर डीजीपी अभिनव कुमार के पास जाना चाह रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया. इससे नाराज दीपक सुयाल जन सुनवाई कार्यक्रम स्थल गेट के बाहर ही धरने पर बैठ गए. इस दौरान वो डीजीपी से मुलाकात करने के लिए पुलिस वालों से लगातार कहते रहे. इस दौरान पुलिस और दीपक सुयाल के बीच नोकझोंक भी हुई. फिर पुलिसकर्मी दीपक सुयाल को उठाकर कोतवाली ले गए.
क्या एक विकलांग के प्रति पुलिस का ये व्यवहार सही था? क्या विकलांग को हक नहीं था वह अपनी समस्या को डीजीपी को बताएं? अगर वह अपनी समस्या को लेकर डीजीपी से मुलाकात करना चाहता था तो जरूर उसकी मुलाकात डीजीपी से करानी चाहिए थी।
सीओ हल्द्वानी नितिन लोहानी का कहना है कि डीजीपी की जन सुनवाई का समय तय था और ये व्यक्ति तय समय के बाद कार्यक्रम स्थल पर पहुंचा था. उस वक्त जन सुनवाई खत्म होने को थी, और तभी इस व्यक्ति ने गेट पर ही धरना देना शुरू कर दिया. पुलिस ने अनुशासन के तहत उस व्यक्ति को पहले वहां से आराम से हटाया, लेकिन उसके द्वारा हंगामा शुरू करने पर उसे अन्य स्थान पर ले जाया गया.
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