आपदा के समय पर एकला चलो की रणनीति छोड़नी पड़ेगी, उत्तराखंड के मंत्री, विधायक, सांसद सब जाने कहां गायब -गरिमा मेहरा

उत्तराखंड में जगह-जगह बादल फटने और अतिवृष्टि से आपदा का मंजर है। इस पर उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने राज्य सरकार से जनता के सामने सही तस्वीर रखने का आग्रह किया है। दसौनी ने कहा की आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में मुख्यमंत्री अकेले ही दिखाई पड़ रहे हैं जबकि राज्य में आधा दर्जन मंत्री और हैं जिन्हें इस वक्त अपने अपने प्रभार वाले जिलों में होना चाहिए और जनता के इस कष्ट और पीड़ा के समय पर उनके साथ खड़ा होना चाहिए। दसौनी ने कहा की कोई भी टीम तभी सफल होती है जब कप्तान सबको साथ लेकर चले परंतु उत्तराखंड में जब से सरकार बनी है तब से लेकर आज तक मुख्यमंत्री का या तो अपने मंत्रियों पर भरोसा ही नहीं है या फिर उनका अपने मंत्रीयों पर कोई जोर ही नहीं।

गरिमा दसौनी ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान देश के गृहमंत्री अमित शाह ने पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे अनिल बलूनी के लिए गढ़वाल की जनता से कहा था कि अब गढ़वाल की चिंता बलूनी पर छोड़ दीजिए और जनता ने वही किया अनिल बलूनी को भारी मतों से पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट की जनता ने विजई बनाया परंतु आज वहां की जनता की आंखें अनिल बलूनी की बाट जोहते पथरा गई है।दसौनी ने कहा कि राहुल गांधी आपदा के दौरान अपने लोगों के बीच वायनाड हैं, ऐसे में सवाल यह उठता है कि उत्तराखंड के मंत्री, विधायक , सांसद सब जाने कहां गायब हैं। एक शब्द किसी के मुंह से नहीं निकल रहा,

टिहरी से तीसरी बार की सांसद महारानी राजलक्ष्मी शाह कहीं नहीं दिख रही, सतपाल महाराज को जब तक हेलीकॉप्टर ना मिले वह कदम बाहर नहीं निकाल रहे हैं, अपने प्रभार वाले जिले हरिद्वार का हाल देखने वह आजतक नहीं गए हैं , रेखा आर्य कार्यक्रमों में रिब्बन काट रही हैं, सुबोध उनियाल वनाग्नि की तरह इस समय भी किंकर्तव्यविमूढ़ बने हुए हैं ।

गरिमा दसौनी ने कहा की यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने ,धर्मांतरण कानून लाने और बुलडोजर चलाने तक तो ठीक था लेकिन यदि सरकार यह समझ रही है कि आपदा भी अकेले मुख्यमंत्री के दौड़ने से निपट जाएगी तो ऐसा मुमकिन नहीं है।गरिमा ने पूछा कि जनता आखिर किस दिन के लिए विधायक और सांसद चुनती है??दसौनी ने यह भी आरोप लगाया कि मानसून की तैयारी तीन चरणों में की जाती हैं- प्री मानसून , मानसून और पोस्ट मानसून परंतु एनडीआरफ और एसडीआरएफ चाहे कितना ही अच्छा काम कर रही हो राज्य सरकार की जो प्री मानसून की तैयारी थी वह उसमें पूरी तरह से फेल नजर आई है। दसौनी ने कहा कि ना ही वनाग्नि से पहले कोई तैयारीकी गई? न इस बार चार धाम यात्रा के इंतेज़ाम और तैयारी दुरुस्त की गई?और ना अब मानसून सीजन से पहले कोई तैयारी दिखी?गरिमा ने कहा की ऑल वेदर रोड जैसी योजनाएं विकासकारी कम विनाशकारी अधिक होती हैं जिनमें अंधाधुंध पेड़ो का कटान किया गया है,उसी अदूरदर्शिता का परिणाम आज प्रदेश की जनता भुगत रही है।यदि सभी यात्रियों का रजिस्ट्रेशन हुआ है तो एक और दो तारीख को कितने यात्री गए और कितने वापस आए कुछ तो रिकॉर्ड होगा सरकार के पास?गरिमा ने पूछा कि मदन कौशिक परिवार के छे सदस्यों के साथ केदारनाथ किस हेलीकॉप्टर से गए? जब सारी हवाई सेवाएं यात्रा और टिकट रोक दिए गए तो क्या वह रेस्क्यू करने वाले हेलीकॉप्टर से केदारनाथ गए? क्या यह सत्ता का दुरुपयोग नहीं?क्या ये आपदा में फंसे यात्रियों के साथ धोखा नहीं?क्या भगवान के दर्शन में भी वीआईपी कल्चर का रखा गया ध्यान?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *