देहरादून : शहीद कैप्टन दीपक सिंह 25 साल की उम्र में देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए। दो बहने और मां दीपक सिंह का पार्थिव शरीर देख बेसुध हो गई पिता ने जैसे तैसे खुद को संभाला लेकिन वह खुद को रोने से रोक नहीं पाए।
पुराने दिनों याद करते हुए उन्होंने मीडिया को बताया कि बेटा मां से झूठ बोलता था कि वह आराम कर रहा है या पार्टी में है। वह वर्दी उतार कर बनियान में रहता था और मां से वीडियो कॉल पर कहता था कि वह आराम कर रहा है लेकिन वह मिशन में रहता था।
शहीद दीपक सिंह के पिता ने बताया कि शहादत के दिन भी उसने मन से झूठ बोला था कि वह आराम कर रहा है जबकि वह मिशन में था। उन्होंने कहा था कि वह अपनी यूनिट के बेस पर ‘आराम’ करने जा रहे हैं। जबकि मंगलवार रात वह एक मिशन के लिए तैयार हो रहे थे।
उत्तराखंड पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर महेश सिंह ने कहा कि बेटा जम्मू-कश्मीर से वीडियो काल पर हमसे बात करता था और हमेशा अपनी मां से झूठ बोलता था कि ‘मां, सब ठीक है, शांति है, मैं आराम कर रहा हूं’। अक्सर, वह अपनी वर्दी की शर्ट उतार लेता था। इसके बाद बात करता था। काल पर अपनी बनियान पहने हुए अपनी मां को यह भरोसा दिलाने का प्रयास करता था कि वह आराम कर रहे हैं। हालांकि, एक पूर्व पुलिसकर्मी होने की वजह से मैं उसके जूते और पतलून को देख लेता था, जो इस बात के संकेत थे कि वह ड्यूटी पर है। 2020 में सिग्नल में कमीशन प्राप्त कैप्टन दीपक वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स के साथ दो साल की प्रतिनियुक्ति पर थे।
शहीद दीपक सिंह के पिता ने बताया कि जब उनका बेटा एक बार देहरादून आया था तो वह एक खुखरी साथ खरीदकर ले गया था और उसने कहा था कि पापा अगर मेरी बंदूक में गोली खत्म हो जाएगी तो मैं इसी से दुश्मनों पर वार करूंगा. यह कहते हुए शहीद के पिता की आंखें भर आई।
शहीद के पिता ने बताया कि अभी हाल ही में उनकी बेटी का बेटा हुआ था घर में खुशी का माहौल था लेकिन अब उनके बेटे की शहादत की खबर ने उन्हें गम में डूबा दिया हालांकि उन्हें बेटे पर गर्व भी है।
शहीद दीपक सिंह ने माता-पिता से कहा था कि वह जब राष्ट्रीय राइफल का अपना कार्यकाल खत्म कर लेंगे उसके बाद वह शादी करेंगे। लेकिन माता पिता का बेटे के सर पर सेहरा सजाने का सपना अधूरा रह गया।