देहरादून : आज प्रदेश मुख्यालय में उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने प्रेस वार्ता को संबोधित किया। गरिमा दसौनी ने प्रेस वार्ता के दौरान सिलक्यारा टनल घटना पर केंद्र और राज्य सरकार को चौतरफा घेरा। दसौनी ने कहा की सिलक्यारा की घटना ने केंद्र और राज्य सरकार के आपदा प्रबंधन के दावों की कलई खोल कर रख दी है। गरिमा दसौनी ने कहा कि भाजपा को केंद्र में साढ़े नौ साल और राज्य में 7 साल हो चुके हैं और यह एक लंबी अवधि होती है इस दौरान सत्ता रूढ़ दल के द्वारा नारों और जुमले तो कई दीए गए लेकिन धरातल पर स्थिति क्या है यह सिलक्यारा घटना से आईने की तरह साफ हो गया है।
गरिमा दसोनी ने कहा कि आखिर सिलक्यारा में कौन से रहस्य छुपे हैं जो सरकार ना तो मजदूरों के परिजनों को मीडिया से मुखातिब होने दे रही है और ना ही अपने अधिकारियों और मंत्रियों को इस पर कोई बयान देने दे रही है। गरिमा दसौनी ने सवाल किया कि आखिर सरकार क्या छुपाना चाहती है ?दसोनी ने प्रेस वार्ता में नवयुग कंपनी से राज्य सरकार की साठ गांठ का भी आरोप लगाया ।
गरिमा दसौनी ने कहा कि जिस नवोदय कंपनी का ट्रैक रिकॉर्ड खराब रहा हो और इसके ऊपर बीते अगस्त में महाराष्ट्र के ठाणे में 20 मजदूरों के मौत का आपराधिक मुकदमा दर्ज हो उस कंपनी को ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे लाइन का 2000 करोड़ से भी ज्यादा का काम किस आधार पर दिया गया है? गरिमा दसौनी ने कहा कि यहां उत्तराखंड की सरकार सिर्फ मीडिया मैनेज और हैडलाइन मैनेज करने पर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं यदि इतना ही ध्यान प्रदेश में चल रहे निर्माण कार्यों पर दिया होता तो आज ये हश्र ना हुआ होता।दसौनी ने कहा कि अंदर फंसे हुए 41 मजदूरों का सब्र अब जवाब दे रहा है, उम्मीद की किरण दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है ऐसे में जरूरत थी कि उन मजदूरों की बात किसी मनोवैज्ञानिक से कराई जाती और उन्हें इस मुश्किल घड़ी में कैसे खुद को संभालना है यह बताया जाता परंतु भाजपा में सिर्फ और सिर्फ हैडलाइन लेने की होड़ मची रहती है।
गरिमा दसौनी ने कहा कि 10 दिन से 41 मजदूर अंदर फंसे हैं प्रभारी मंत्री का आता पता नहीं, पीडब्ल्यूडी मंत्री भी नदारद है इससे पता चलता है कि भाजपा गरीब लोगों की जान के लिए कितनी संवेदनहीन है । दसौनी ने सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि यही 41 लोग यदि अमीर घरानों के और रसूखदार लोग होते तो आज तक तो पूरे देश की राजनीति में जलजला आ चुका होता परंतु क्योंकि यह मजदूर गरीब और मजलूम है इसलिए इनकी जान की सरकार के लिए कोई कीमत नहीं ??
गरिमा दसोनी ने कहा कि केंद्रीय मंत्री उत्तराखंड आकर बेतुकी बयान बाजी कर उत्तराखंड के जख्मों पर और नमक छिड़कने का काम कर रहे हैं। दसौनी ने कहा कि राज्य सरकार सिलक्यारा टनल को अपनी प्रयोगशाला समझकर हिट एंड ट्रायल कर रही है,जहां इस घटना की जवाब देही और जिम्मेदारी सरकार की होनी चाहिए और कटघरे में भी राज्य सरकार होनी चाहिए वहीं उल्टा भाजपा के लोग विपक्ष को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। विकास विरोधी और राष्ट्र विरोधी तक का तमगा विपक्ष को पहनाया जा रहा है।
गरिमा दसोनी ने कहा कि विपक्ष विकास विरोधी कतई नहीं है लेकिन उत्तराखंड को विकास लोगों की जान की और अपने पर्यावरण की कीमत पर तो बिल्कुल नहीं चाहिए।
चुनाव में माइलेज लेने की होड़ में जल्दबाजी में जो ऑल वेदर रोड का काम कराया जा रहा है वह निश्चित रूप से आत्मघाती और विनाशकारी है। दसौनी ने कहा की उत्तराखंड जैसे भौगोलिक विषमताओं वाले राज्यों में निर्माण कार्य करने से पहले हर तरह का सर्वेक्षण कर लेना बहुत जरूरी है।
गरिमा दसोनी ने वार्ता के दौरान यह भी कहा कि भाजपा को यह मुगालता है कि सारे बुद्धिजीवी उन्हीं के दल में है जबकि यह प्रादेशिक चुनौती है और इसे सबको मिलकर सामना करना चाहिए ऐसे में बहुत जरूरी हो जाता है कि राज्य सरकार सर्वदलीय बैठक बुलाए और राज्य के अनुभवी और बुद्धिजीवी लोगों को उस बैठक में आमंत्रित करके इस चुनौती से निपटने का रास्ता खोजे।