देहरादून
धामी कैबिनेट की बैठक ख़त्म, इन प्रस्तावों पर मुहर
1. पर्यटन विभाग के अंतर्गत केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम के मास्टर प्लान के वास्तुविद सेवाओं के कार्य M/s INI Design Studio Pvt. Ltd द्वारा किए जाने के दृष्टिगत श्री केदारनाथ एवं श्री बद्रीनाथ धाम में विभिन्न स्थानों पर स्थापित की जाने वाली विभिन्न विशेष प्रकृति की कलाकृतियों एवं मूर्तियों के Conceptual Desing, Detailed Design DPR, Post-Implementation के ऋइए M/s INI Design Studio Pvt. Ltd से 6.5 प्रतिशत की दर से एकल स्रोत के माध्यम से कन्सलटेन्सी सेवायें लिये जाने का निर्णय।
2. इसके अतिरिक्त औली को पर्यटन के क्षेत्र में विकसित किये जाने के लिएर Skiing Destination Plan एवं उसके क्रियान्वयन हेतु औली विकास प्राधिकरण का गठन किये जाने के सम्बन्ध में निर्णय लिया गया है। किसी क्षेत्र में पर्यटन और पर्यटन व्यवस्था सम्बन्धित सेवाओं में सुधार किये जाने हेतु समय-समय पर उत्तराखण्ड विशेष क्षेत्र अधिनियम के तहत राज्य सरकार द्वारा विशेष पर्यटन विकास क्षेत्र घोषित किया जाता है। क्योंकि उत्तराखण्ड में औली सबसे लोकप्रिय स्कीइंग गंतव्य स्थल है। अतः औली को स्किंग डेस्टिनेशन रूप में विकसित किये जाने के लिए स्किंग डेस्टिनेशन प्लान और उसके क्रियान्वयन के लिएऔली विकास प्राधिकरण का गठन किया गया है।
3. औद्योगिक विकास विभाग के अंतर्गत उत्तराखण्ड सेवा क्षेत्र नीति-2023 के संबंध में भी कतिपय निर्णय लिये गये है। इसके तहत उत्तराखण्ड सरकार द्वारा स्वास्थ्य देखभाल, वेलनेस एवं पारम्परिक चिकित्सा, शिक्षा, फिल्म और मीडिया, खेल, आई.टी.ई.एस., डाटा सेंटर, कौशल विकास के क्षेत्रों में सेवा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखण्ड सेवा क्षेत्र नीति-2023 लायी गई है। उक्त नीति के प्रख्यापन से राज्य की अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा। नीति के अतंर्गत सेवा अर्थव्यवस्था (पर्यटन को छोड़कर) 2030 तक 27 बिलियन अमरीकी डालर तक बढ़ेगी, और राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में कम से कम 40 प्रतिशत का योगदान देगी। उत्तराखण्ड 2030 से पहले सेवा क्षेत्रों में 60,000 करोड़ रुपये के निवेश को आकर्षित करेगा। 2027 से पहले 45,000 करोड़ रुपये निवेश का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके तहत सेवा क्षेत्र में 20 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा तथा सेवा क्षेत्रों में 10 लाख श्रमिकों का कौशल विकास होगा। सेवा क्षेत्र में निवेशकों को भूमि एवं पूंजीगत सब्सिडी का प्रावधान किया गया है।
4. सचिवालय प्रशासन विभाग के तहत मा० उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड के आदेश 31 मार्च के क्रम में अपर निजी सचिव परीक्षा-2017 में समतुल्य शैक्षिक अर्हता होने के दृष्टिगत 04 अभ्यर्थियों के चयन की सहमति लोक सेवा आयोग को प्रेषित किये जाने के संबंध में निर्णय लिया गया है कि उच्च शिक्षा विभाग द्वारा समतुल्यता समिति द्वारा संस्तुति दी गयी कि अपर निजी सचिव-2017 के विज्ञापन में अपर निजी सचिव पद हेतु उल्लिखित शैक्षिक अर्हता के रूप में सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त किसी संस्था / विश्वविद्यालय से 01 वर्षीय कम्प्यूटर पाठ्यक्रम प्रमाण पत्र और कम्प्यूटर विज्ञान विषय के साथ स्नातक उपाधि के साथ क्रमशः बी०सी०ए० एवं बी०टैक० उपाधि धारित समस्त याचिगणों को पाठ्यक्रम में 75 प्रतिशत से अधिक की साम्यता के आधार पर अर्ह माना जा सकता है।
समतुल्यता समिति की रिपोर्ट के आधार पर मा० उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड के आदेश अंतिम निर्णय 31 मार्च 2023 के क्रम में चार अभ्यर्थियों/याचीगणों ( शिवानी धस्माना, दीपक डिमरी, राशिद और महेश प्रसाद) की शैक्षिक अर्हता में 75 प्रतिशत से अधिक की साम्यता के आधार पर अर्ह माने जाने के कारण चारों अभ्यर्थियों के अपर निजी सचिव के पद पर चयन के सम्बन्ध में लोक सेवा आयोग को सहमति प्रदान की जानी प्रस्तावित की गई है।
5. ऊर्जा एवं वैकल्पिक ऊर्जा विभाग के अंतर्गत उत्तराखण्ड राज्य में पम्प स्टोरेज परियोजनाओं की ड्राफ्ट नीति पर अनुमोदन प्रदान किया गया। इसके तहत केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा निर्गत राष्ट्रीय विद्युत योजना के अन्तर्गत पम्प भण्डारण परियोजनाओं के लिए निर्धारित कुल क्षमता एवं राज्य के लिए निर्धारित अनुमानित लक्ष्य के आलोक में भारत सरकार द्वारा पम्प भण्डारण परियोजनाओं हेतु निर्गत दिशा-निदेशों के अनुसार राज्य में पम्प भण्डारण क्षमता विषयक परियोजनाओं के विकास हेतु ड्राफ्ट नीति तैयार कर मा० मंत्रिमण्डल के अनुमोदन हेतु प्रस्तुत की गयी है।
इस नीति का मुख्य उद्देश्य पम्प भण्डारण परियोजनाओं के माध्यम से राज्य में इस क्षेत्र की चिन्हित क्षमता का दोहन करना, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का प्रबन्धन एवं सद्पयोग कर ग्रिड स्थिरता प्रदान करना, स्व-निर्धारित ऑफस्ट्रीम स्थलों के विकास को प्रोत्साहित करना, संगत क्षेत्र में सार्वजनिक एवं निजी निवेश के माध्यम से राज्य का आर्थिक विकास एवं उक्त परियोजनाओं के जल से पेयजल तथा सिंचाई की आवश्यकताओं की पूर्ति करना इत्यादि प्रमुख रूप से है।
प्रस्तावित नीति में उक्त परियोजनाओं के त्वरित विकास हेतु अन्तः राज्यीय पारेषण शुल्क, स्थानीय क्षेत्र विकास निधि, निःशुल्क रॉयल्टी विद्युत, भूमि पर हस्तांतरण/निकासी की त्वरित अनुमति, जल कर एवं सरकारी भूमि को 45 वर्षों की अवधि के लिए सर्कल दर से जुड़ी वार्षिक पट्टा दर पर आवंटित किये जाने विषयक कई छूट/रियायतें प्रदान किये जाने का प्रावधान किया गया है।
6. ऊधमसिंहनगर में जो गैस आधारित प्लांट हैं, उनमें बाहरी देशों से लिक्विफाइड गैस आती है उसपर वैट शून्य है जबकी सी.एन.जी गैस पर वैट 20 प्रतिशत है। इससे गैस आधारित प्लांट के संचालन में कठिनाई होने के कारण इस वैट को भी शून्य किये जाने का निर्णय कैबिनेट द्वारा लिया गया है। इ
इससे गैस आधारित प्लांट संचालित हो सकेंगे और प्रदेश में बिजली आपूर्ति की कमी को दूर किया जा सकेगा।