देहरादून: पानी सबसे बड़ी जरूरत है। शुद्ध पानी मिलना उससे भी जरूरी है, लेकिन राजधानी देहरादून शुद्ध पानी के लिए तरस रही है। स्थिति यह है कि देहरादून के अधिकांश इलाकों में लोगों को पीने के लिए शुद्ध पानी नहीं मिल पा रहा है। हाल ही में पानी की गुणवत्ता की जांच की गई थी, जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
रिपोर्ट में खुलासा, 125 घरों से पानी के नमूने लिए
रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है। कई जगह जहां अवशोषित क्लोरीन का स्तर ज्यादा मिला है। जबकि कुछ जगहों पर पानी बिना क्लोरिनेशन के ही सप्लाई किया जा रहा है। कई हिस्सों में पानी में बीमारी फैलाने वाले कॉलिफार्म भी बहुत ज्यादा मात्रा में मिले हैं। आपको बता दें कि देहरादून में अलग-अलग क्षेत्रों में पांच से आठ जुलाई के बीच 125 घरों से पानी के नमूने लिए गए थे, इसमें से करीब 90 फीसदी सैंपल मानकों पर खरे नहीं उतरे। रिपोर्ट में बताया गया है कि क्लोरीन ज्यादा होने, फीकल कॉलिफार्म, सुपर क्लोरिनेशन और कठोरता के कारण पानी पीने लायक नहीं है। दून के पानी में अवशोषित क्लोरीन की मात्रा 0.2 मिग्रा प्रति लीटर मिली है।
36 स्थानों पर कॉलीफार्म का स्तर ज्यादा
डोभालवाला, इंदरेश नगर, तपोवन एन्क्लेव, राजेश्वरपुरम जोगीवाला, लक्खीबाग, भंडारी बाग और सरस्वती विहार अजबपुर क्षेत्रों में क्लोरीन मानक के अनुसार मिला। 36 स्थानों पर कॉलीफार्म का स्तर ज्यादा पाया गया। 14 स्थानों पर मानकानुसार और 75 स्थानों पर नहीं पाई गई।
मंत्री, विधायक, अधिकारियों के घर सप्लाई हो रहा पानी भी नहीं साफ
रिपोर्ट के अनुसार कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज व गणेश जोशी आवास, डीएम आवास, मेयर सुनील उनियाल गामा निवास डोभालवाला, विधायक खजान दास आवास, एसएसपी आवास राजपुर रोड में क्लोरीन का स्तर मानक से कई गुना अधिक मिला। 53 अन्य स्थानों पर भी क्लोरीन मानक से ज्यादा मिली। वहीं, 10 क्षेत्रों में क्लोरीन की मात्रा मानक से काफी कम और 49 स्थानों पर शून्य पाई गई।
कठोरता वाला पेयजल पीने के नुकसान
– बाल और त्वचा पर बूढ़ेपन के लक्षण तेजी से दिखते हैं।
– खाली पेट रहने से पथरी बढ़ने का खतरा रहता है।
– लीवर, किडनी, आंखें, हड्डी के जोड़, गैस्ट्रो और पाचन पर बुरा प्रभाव ड़ालते हैं।
फीकल कॉलिफार्म से होने वाले समस्या
– पेट में कीड़े व अन्य रोग तेजी से बढ़ते हैं।
– हैजा, दस्त, पीलिया, उल्टी और हेपेटाइटिस बी का खतरा बढ़ जाता है।
क्लोरीन के ज्यादा और लगातार प्रयोग से खतरा
– बाल सफेद होना, त्वचा बूढ़ी होना, त्वचा सूखना, कपड़ों का रंग जाना और पेट के अन्य रोग जिसमें कैंसर व अल्सर भी शामिल हैं।