उत्तराखंड सरकार द्वारा पिथौरागढ़-लोहाघाट-चंपावत ट्रांसमिशन की जिस लाइन का लोकार्पण 12 अक्तूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के कर कमलों से कराया गया। उसको लेकर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। इस खबर के सामने आते ही उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने उत्तराखंड सरकार को आड़े हाथों लिया है।
गरिमा दसौनी ने कहा की लानत है ऐसे विभागीय अधिकारी और समूची सरकार पर जिनकी कारगुजारी ने प्रधानमंत्री जैसे रसूखदार पद की किरकिरी और मखौल पूरे देश के सामने उड़ा कर रख दिया।दसौनी ने कहा कि भाजपा की हमेशा से आदत गरम-गरम खाने की है और इस बार इसी आदत के चलते वह अपना मुंह जल बैठी है।
गरिमा दसौनी ने कहा कि बड़े गाजे बाजे के साथ उत्तराखंड देवभूमि में प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया गया।कैसी विडंबना है की उसी देवभूमि ने आज प्रधानमंत्री कि समूचे देश में खिल्ली उड़ा कर रख दी। दसौनी ने कहा कि लोकार्पण उस योजना का किया जाता है जो पूर्ण हो गई हो और जनता को समर्पित कर दी गई हो परंतु चंपावत पिथौरागढ़ ट्रांसमिशन लाइन की सच्चाई कुछ और ही बयां कर रही है ।
गरिमा दसौनी ने कहा की 4200 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण प्रधानमंत्री करेंगे इस बात का व्यापक स्तर पर प्रचार प्रचार कराया गया परंतु आज हालात यह हो गई है कि खोदा पहाड़ और निकली चुहिया।बताया कीलोकार्पण के चार माह पहले से ही इस लाइन पर 33 केवी की बिजली दौड़ाई जा रही है। जबकि यह लाइन 132 केवी की बनाई गई है। इतनी क्षमता की बिजली सप्लाई इसलिए नहीं हो पा रही है क्योंकि इस प्रोजेक्ट के तहत बनने वाले सब स्टेशन का कार्य ही नहीं शुरू हो पाया है। सब स्टेशन बनाने के लिए अभी टेंडर प्रक्रिया चल रही है। ऐसे में सवाल है कि आधे-अधूरे प्रोजेक्ट का पीएम मोदी से लोकार्पण क्यों करा दिया? दसौनी ने कहा कि यह अत्यंत गंभीर प्रकरण है, प्रधानमंत्री की छवि को धूमिल करने वाला कुत्सित प्रयास है और इसमें जिन भी विभागीय अधिकारियों की संलिप्तता है उन पर कार्यवाही की जानी चाहिए और यदि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के संज्ञान में यह जानकारी पहले से थी तो उन्हें भी प्रधानमंत्री समेत उत्तराखंड की जनता से क्षमा याचना मांगनी होगी।