गणतंत्र दिवस पर PM मोदी ने पहनी पहाड़ी टोपी, जानिए कहां बनाई गई ये टॉपी, क्या वोटरों को साधने की कोशिश?

73वीं गणतंत्र दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रदेशवासियों को दी शुभकामनाएं। इसी के साथ हर बार की तरह इस बार भी प्रधानमंत्री खास अंदाज में दिखे और उनके इस अंदाज ने सबका ध्यान आकर्षक किया। 73वीं गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खास टोपी में नजर आए यह खास टोपी उत्तराखंड की है जिस पर ब्रह्म कमल बना हुआ है।

इस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पर कहा कि पीएम मोदी ने ब्रह्मकमल टोपी पहनकर राज्य और यहां के लोगों का मान बढ़ाया. कुछ राजनीतिक विषयों एवं उत्तराखंड में होने वाली आगामी विधानसभा चुनाव से जोड़कर भी देख रहे हैं। पार्टियां इस वोट साधने की कोशिश कह रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने फेसबुक पर ट्वीट करके कहा कि आज 73वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रह्मकमल से सुसज्जित देवभूमि उत्तराखंड की टोपी धारण करके हमारे राज्य की संस्कृति एवं परंपरा को गौरवांवित किया है। मैं उत्तराखंड की सवा करोड़ जनता की ओर से प्रधानमंत्री का हार्दिक आभार प्रकट करता हूं।

जानिए क्या है टॉपी में खास?

आपको बता दें कि पीएम मोदी ने जो टॉपी पहनी है वो मसूरी के कारीगर ने बनाई है।उत्तराखंड को खास पहचान दिलाने वाले सोहम आर्ट एवं हेरिटेज सेंटर मसूरी के संचालक समीर शुक्ला बताया कि इस टोपी में एक तो ब्रह्मकमल लगा हुआ है, जो उत्तराखंड का राज्य फूल है और शुभ चिह्न है. इसके अलावा इसमें चार रंग की एक पट्टी बनी हुई है, जो जीव, प्रकृति, धरती, आसमान के सामन्जस्य के बारे में बताती है. यह टोपी खास लोकल कारीगरों की ओर से बनाई जाती है. वैसे तो इस टोपी में भूटिया रिवर्स का कपड़ा इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन अगर नहीं मिलता है तो वूलन के लिए ट्वीड का कपड़ा इस्तेमाल होता है और गर्मी के लिए खादी का कपड़ा इस्तेमाल होता है.

समीर शुक्ला अभी क्षेत्रीय कारीगरों की टीम बनाकर ये टोपी बनाने का काम कर रहे हैं, जिससे इस टोपी को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल रही है. इस टोपी में पहले सिलाई का काम होता है और उसके बाद हाथ से इस पर पट्टी आदि का काम होता है.

किसने बनाई ये टॉपी?

बता दें कि ये टोपी सोहम आर्ट एवं हेरिटेज सेंटर मसूरी की ओर से ही बनाई जाती है. संस्थान के संचालक बताते हैं कि वो क्षेत्रीय कलाकारों के साथ काम कर रहे हैं और उनकी पत्नी कविता शुक्ला भी उनके साथ काम कर रही हैं. कविता शुक्ला महिलाओं की एक टीम बनाकर इस पर जो हाथ से काम होता है, वो करवाती हैं. वे अभी देश और विदेश में अपनी टोपी भेज रहे हैं और लोग इसे पसंद कर रहे हैं.

क्या है ब्रह्मकमल?

ब्रह्मकमल, उत्तराखंड का राष्ट्रीय फूल है और इस फूल की कई धार्मिक मान्यताएं हैं. माना जाता है कि भारत में इस फूल की करीब 61 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिसमें अधिकतर हिमालयी इलाकों में ही पाई जाती हैं. इसका इस्तेमाल कई देशी नुस्खों में किया जाता है और यहां पूजा में इसका इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही सर्दी के कपड़ों में भी इस फूल को रखा जाता है और माना जाता है कि इससे सर्दी के कपड़े खराब नहीं होते हैं. ब्रह्मकमल फूल अगस्त के महीने में उगता है और नंदा अष्टमी को लेकर इस फूल का खास महत्व है. ऐसा कहा जाता है कि रामायण में लक्ष्मण के बेहोश होने के बाद इलाज और ठीक होने पर देवताओं ने स्वर्ग से जो फूल बरसाए, वे ब्रह्म कमल ही थे.

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