त्तरकाशी : उत्तराखंड एसडीआरएफ के जवानों के साहस को सलाम है जो अपनी जान जोखिम में डालकर बर्फ के बीच लोगों को बचाने निकले। लेकिन वो कई लोगों की जान नहीं बचा पाए। हर्षिल से लमखागा पास होते हुए छितकुल हिमाचल की ट्रेकिंग के लिए गए 7 ट्रेकरों के शवों को रिकवर कर शुक्रवार को हर्षिल लाया गया. बता दें कि बीते दिनों से एसडीआरएफ का रेस्क्यू अभियान जारी है। जवानों द्वारा बर्फ के बीच ट्रैकरों, पोर्टरों और गाइडों की तलाश की जा रही है। बीते दिन जवानों को ट्रेक पर दो और शव दिखे। शवों को रिवकर करने के लिए जवानों ने बर्फ खोदी और शवों को बाहर निकाला।
साथ ही एक और गाइड को रेस्क्यू कर उपचार के लिए हर्षिल पीएचसी में भर्ती किया गया है। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि, जिन ट्रेकरों के शव हर्षिल लाए गए हैं, वे पश्चिम बंगाल और दिल्ली के रहने वाले थे।गाइड देवेंद्र चौहान पुत्र हरिराम ग्राम गंगाड पुरोला को जीवित हर्षिल लाया गया है। दो लापता ट्रेकरों की तलाश में छितकुल की पहाड़ियों पर हेलीकॉप्टर से सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। गौरतलब है कि, 17 अक्टूबर को हर्षिल-छितकुल ट्रैक पर करीब 15 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित लखमा पास को पार करने के बाद बंगाल और कोलकाता के 8 ट्रैकर्स समेत 11 लोग लापता हो गए थे। अब तक 07 ट्रैकरों के शव मिल चुके हैं, 02 अब भी लापता हैं जबकि, कोलकाता के ट्रैकर मिथुन दारी और पुरोला निवासी गाइड देवेंद्र जीवित बचाए गए।
वहीं छितकुल ट्रेक से जीवित बचाए गए पश्चिम बंगाल के ट्रेकर मिथुन ने बताया कि, मौसम खराब होने के दौरान उनका पैर फ्रैक्चर हो गया। मिथुन ने कहा कि, चार दिन वह टेंट में अपने साथी के साथ फंसे रहे। उसके बाद साथी का भी पता नहीं चला। खाने का सामान गुम हो चुकी था। चार दिन खजूर और चॉकलेट खाकर जिंदा रहा।