पौड़ी-: पहाड़ की यह कैसी विडंबना है एक तरफ तो सरकार पलायन रोकने के लिए पहाड़ को ही आबाद करने के लिए खेती, स्वरोजगार आदि के लिए प्रोत्साहित कर रही है तो वहीं दूसरी और कोई व्यक्ति अपने पहाड़ में ही रहकर स्वयं के लिए रोजगार बनाकर अपना व्यापार बढ़ाने की कोशिश करें तो उनके व्यापार को आगे बढ़ाने की सीढ़ी इस प्रकार खींच रहे है कि वह व्यक्ति अपने हक की कमाई मांगने को दर दर भटकता है पर उसकी सुनवाई करने वाला कोई नही,क्यों, क्योंकि उनके हक का पैसा मारने वाले खुद ऊंचे पदों पर बैठे है। सरकार और स्वयं कंपनी के अधिकारियों द्वारा अनदेखी कहे या लापरवाही ऐसी है कि वह एक बार कार्य करने की जिम्मेदारी सौंप तो रही है उनपर चेक एंड बैलेंस बनाये रखने की जहमत नही उठा रही नतीजन उसका खामियाजा छोटे स्तर के व्यापारियों को उठाना पड़ रहा है।
ऐसा ही एक मामला पौड़ी जनपद से सामने आया है जहां पौड़ी के श्रीकोट निवासी अमित सजवाण ने अपने दमपर अपना छोटा सा व्यापार खड़ा किया,थोड़ी तरक्की की तो एक फर्म को दो में बढ़ा दिया। इस बीच उत्तराखंड सरकार का सपना कहे जाने वाले व पहाड़ की राह को आसान बनाने वाले विजन ऋषिकेश -कर्णप्रयाग रेलवे लाइन का कार्य सरकार ने शुरू किया जिसका टेंडर कुछ निजी कंपनियों को दिया गया,जिनके द्वारा संयुक्त रूप से रेलवे लाइन के कार्य को दिशा दी जा रही हैं।
वर्तमान में पौड़ी में काम कर रही एक कंपनी ऋत्विक प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा अपने काम के लिए श्रीकोट के उस व्यापारी अमित सजवाण से संपर्क साधा, जिसमे शुरू शुरू में कंपनी के अधिकारियों द्वारा माल की पेमेंट तो तय समय सीमा में की किन्तु बाद-बाद में व्यापारी से माल तो पूरा लिया किन्तु पैसे देने की बारी में मात्र आश्वासन व कुछ समय बाद- कुछ समय बाद का बहाना बनाते चले गए। उक्त व्यापारी द्वारा कंपनी के दफ्तर में हज़ारों चक्कर लगाए गए किन्तु कंपनी के अधिकारियों द्वारा व्यापारी के पैसे उन्हें नही दिए।
कंपनी की धोखाधडी का आलम यह है कि कंपनी द्वारा व्यापारी के 50 लाख खा लिए गए और सरकार को इसकी कानो कान खबर नही हुई। देश की नामी कंपनी में से एक ऋत्विक प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड ने एक व्यक्ति की गाढ़ी कमाई खा दी पर जिस सर्वोच्च संस्था (उत्तराखंड सरकार) ने उस कंपनी को कार्य दिया था उनके द्वारा रेलवे प्रोजेक्ट का कार्य कर रही संस्था के कार्यो पर निगरानी नही रखी जा रही है, न ही उनके द्वारा कंपनी द्वारा जिन छोटे व्यापारियों से ठेके में सामान लगाया गया है उसकी पेमेंट समय से की गई है कि नही-उसका चेक एंड बैलेंस नही किया जा रहा है और यही नहीं आलम कंपनी के स्वामियों के है जिनके द्वारा अपने निचले अधिकारियों के कार्यो पर निगरानी नही बरती जा रही है।
नतीजन छोटे व्यापारी अपने हक के पैसों के लिए कंपनियों की चौखट पर दर-दर भटक रहे है पर कंपनी वाले पीड़ित को ही धमका रहे है और पैसे देने से साफ मुकर रहे है। अब पीड़ित जाए तो जाए कहाँ, सरकार ने जिनको उत्तरदायित्व दिया वह ही धोखाधडी में उतर आए तो पीड़ित जाए कहाँ। पीड़ित द्वारा कोई रास्ता न होने पर पुलिस से मदद की गुहार लगाई गई है।
अमित सजवाण निवासी- श्रीकोट गंगानाली, पौड़ी ने पीड़ित को तहरीर में बताया कि उनकी श्रीकोट पुलिस चौकी के सामने क्वालिटी बास्केट नाम की दुकान है। वर्ष 2021 से डुंगरीपंथ (श्रीनगर) में चल रहे रेलवे के कार्य को करने वाली कंपनी ऋत्विक प्रोजेक्टस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा उनकी दो दुकान से सामान खरीदा जा रहा है। 2021-2023 के बीच उनकी फर्म क्वालिटी बास्केट से तथा 2023-24 तक उनकी दूसरी फर्म शाश्वत इंटरप्राइजेज से ऋत्विक प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा खरीदा गया। वर्ष 2021 से 2024 के बीच उक्त कंपनी द्वारा वादी से खरीदे गए सभी माल के सभी बिल बाउचर उनके पास सुरक्षित है। उन्होंने तहरीर में बताया कि शुरुआत में कम्पनी द्वारा शुरुआत में सभी पेमेंट आसानी से की गई किन्तु कुछ समय बाद कंपनी द्वारा खरीदे गए सामान के पेमेंट में देरी की जाने लगी। जिसके संबंध में उनके द्वारा वर्ष 2023 से वर्तमान तक कई बार कंपनी के अधिकारियों के पास जाकर मौखिक व लिखित शिकायत दर्ज करवाई गई जिसके जवाब में उनके द्वारा हर बार कुछ समय बाद पेमेंट का आश्वासन दिया जाता रहा। किन्तु कुछ समय पहले वादी जब अपनी पेमेंट मांगने गया तो कंपनी के अधिकारियों द्वारा उनको पेमेंट देने से इनकार कर दिया गया।
वादी ने ऋत्विक प्रोजेक्टस प्राइवेट लिमिटेड के कर्मचारियों व अधिकारियों द्वारा उनकी दोनो फर्म से कुल 50 लाख 1 हज़ार 283 रुपये की धोखाधड़ी के खिलाफ कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर वीरेश चालमी,ऑडिट इंचार्ज-प्रदीप,एचआर देवेन्द्र,फाइनेंस हेड-रंगा रेड्डी के खिलाफ मुकदमा संख्या- 0031 धारा 318(4) बीएनएस में दर्ज करवाया है।
उत्तराखंड सरकार प्रदेश के उत्थान के लिए कार्य जरूर कर रही है जो प्रदेश की जनता का हक है। चूंकि उत्तराखंड इससे पूर्व भी एक निजी कंपनी द्वारा धोखाधड़ी कजोये जाने के सितम से चुकी है तो ऐसे में जरूरी है कि सरकार द्वारा जिन भी कंपनी खासतौर पर बाहरी राज्यो की कंपनी को प्रदेश में प्रोजेक्ट सौंपे जा रहे है उसकी खुद से पूर्ण निगरानी रखे और आख्या मांगे।