हर नए शादीशुदा जोडे़ का सपना होता है कि वह अपनी शादी की पहली सालगिरह धूमधाम से मनाएं और कुछ खास करें लेकिन यहां अनुज नेगी घर व आपस आने का वादा तो करके गये लेकिन तिरंगे में लिपटे घर पहुंचे।
बता दें कि कठुआ में बलिदान हुए उत्तराखंड के रिखणीखाल के डोबरिया (पोस्ट धामधार) निवासी राइफलमैन अनुज नेगी घर के इकलौते बेटे थे। उनकी एक बहन भी है। उनके पिता भारत सिंह वन विभाग में दैनिक कर्मचारी थे। मां सरिता देवी गृहिणी हैं।
अनुज की 8 महीने पहले बीते नवंबर में शादी हुई थी। गर्मियों की छुट्टियों में वह घर आए थे और वो पत्नी से मई के अंत में ड्यूटी पर लौटते समय सर्दियों में फिर से आने का वादा करके गए थे लेकिन वो शादी की पहली सालगिरह भी नहीं मना पाए।
अनुज के बलिदान होने की सूचना से पूरे गांव में शोक छाया है। लोग उनके परिजनों को ढाढ़स बंधाने के लिए गांव पहुंचने लगे हैं।