टोक्यो ओलंपिक 2021 में भारत के पाले में पहला गोल्ड मेडल आ गया है. देश का पहला गोल्ड मेडल लाने वाले हैं 23 साल के आर्मी अफसर नीरज चौपड़ा। बता दें कि हरियाणा के नीरज चौपड़ा ने जैबलीन थ्रो में देश को गोल्ड मेडल दिलाया है। वह एथलेटिक्स में देश के लिए पदक जीतने वाले देश के पहले खिलाड़ी बन गये हैं। नीरज चोपड़ा पहले राउंड से ही आगे चल रहे थे। अपने दूसरे थ्रो में नीरज ने 87.88 मीटर दूर भाला फेंका. उसके बाद दो फाउल किए लेकिन वो जीत के लिए सबसे आगे रहे क्योंकि उन्होंने रिकॉर्ड पहले ही तोड़ दिया था। इतिहास में ये पहली बार हुआ है।
बता दें कि नीरज चोपड़ा अंजू बॉबी जॉर्ज के बाद किसी विश्व चौम्पियनशिप स्तर पर एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक को जीतने वाले वह दूसरे भारतीय हैं। बायडगोसज्च्ज़, पोलैंड में आयोजित 2016 आइएएएफ यू-20 विश्व चौंपियनशिप में उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की। इस पदक के साथ साथ उन्होंने एक विश्व जूनियर रिकॉर्ड भी स्थापित किया है।
2016 के दक्षिण एशियाई खेलों में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय रिकॉर्ड की बराबरी करते हुए 82.23 मीटर तक भाला फेंक कर स्वर्ण पदक जीता था। ऐसे प्रदर्शन के बावजूद भी वे 2016 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में स्थान पाने में वह विफल रहे। उनकी उम्र कम रहे गई थी। नीरज चोपड़ा खंडरा गांव, पानीपत, हरियाणा के मूल निवासी हैं। नीरज ने 85.23 मीटर का भाला फेंककर 2017 एशियाई एथलेटिक्स चौम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में सम्पन्न हुए 2018 राष्ट्रमण्डल खेलों में उन्होंने 86.47 मीटर भाला फेंककर स्पर्धा का स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
हरियाणा के छोटे से गांव से है नीरज, पिता हैं किसान
हरियाणा के पानीपत जिले के खांद्रा गांव में एक छोटे से किसान के घर पर 24 दिसंबर 1997 को नीरज का जन्म हुआ था. नीरज ने अपनी पढ़ाई चंडीगढ़ से की. नीरज ने 2016 में पोलैंड में हुए IAAF वर्ल्ड U-20 चैम्पियनशिप में 86.48 मीटर दूर भाला फेंककर गोल्ड जीता था, जिसके बाद उन्हें आर्मी में जूनियर कमिशन्ड ऑफिसर के तौर पर नियुक्ति मिली थी. आर्मी से जॉब मिलने के बाद नीरज ने एक इंटरव्यू में कहा था, “मेरे पिता एक किसान हैं और मां हाउसवाइफ हैं और मैं एक ज्वॉइंट फैमिली में रहता हूं. “मेरे पिता एक किसान हैं और मां हाउसवाइफ हैं और मैं एक ज्वॉइंट फैमिली में रहता हूं. मेरे परिवार में किसी की सरकारी नौकरी नहीं है. इसलिए सब मेरे लिए खुश… हैं.” उन्होंने आगे कहा था, “अब मैं अपनी ट्रेनिंग जारी रखने के साथ-साथ अपने परिवार की आर्थिक मदद भी कर सकता हूं.”