उत्तराखंड : पूर्व दर्जा राज्यमंत्री का घर सील, परिवार वालों को निकाला घर से बाहर

हल्द्वानी: नैनीताल डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंक ने लोन न चुकाने पर पूर्व दर्जा राज्यमंत्री का घर सील कर दिया है. पूर्व दर्जा धारी राज्य मंत्री के परिजन बेघर हो गए हैं। वो घर के बाहर बैठकर रोते हुए नजर आए। इस दौरान हरीश पाल के परिजनों का अधिकारियों के साथ बहस भी हुई लेकिन पुलिस-प्रशासन के सामने उनकी एक न चली. बैंक ने परिवार को घर से बाहर निकाल कर मकान को सील कर दिया है.

आपको जानकारी के लिए बता दें कि गौजाजाली निवासी हरीश पाल को कांग्रेस की एनडी तिवारी सरकार में राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया था. हरीश पाल ने नैनीताल डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंक से करीब 10 साल पहले लोन लिया था. उन्हें बैंक के करीब 18 लाख 40 हजार रुपये चुकाने थे. बैंक ने कई बार नोटिस दिया लेकिन ना तो कोई जवाब दिया गया और ना पैसे जमा किए गए जिसके बाद पुलिस के साथ प्रशासन के अधिकारी और बैंक कर्मी हरीश पाल के घर पहुंचे और परिवार वालों को बाहर निकाल कर घर को सील किया।

इस मामले में बनभूलपुरा थाने के एसआई मनोज यादव ने बताया कि पूर्व दर्जाधारी हरीश पाल 10 साल पहले बैंक से 13 लाख रुपए का लोन लिया था, ऐसे में उन्होंने बैंक को ब्याज सहित 18 लाख 40 हजार रुपये चुकाने थे. मंगलवार को बैंक अधिकारी डीएम कोर्ट का आदेश लेकर बनभूलपुरा थाना पुलिस के साथ हरीश पाल के घर आ धमके और सभी परिवार वालों को बाहर निकालकर मकान को सील कर दिया. इस दौरान वहां पर मौजूद हरीश की पत्नी, बेटे और एक बेटी ने इसका विरोध भी किया।

2017 में पुलिस ने गिरफ्तार किया था

बता दें कि हरीश पाल का विवादों से नाता रहा है। उनकी पत्नी ने उन पर चोरी छिपे देहरादून में दूसरी शादी करने का आरोप लगाया था और मुकदमा दर्ज कराया था।   हरीश पाल की पत्नी ममता पाल ने उनके खिलाफ उत्पीड़न की शिकायत महिला हेल्पलाइन में की थी। 2013 में उनके खिलाफ पत्नी ने उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज करवाया। 2017 में कोतवाली पुलिस ने हरीश पाल को गिरफ्तार कर लिया था। पत्नी को भरण पोषण का पैसा नहीं देने पर अदालत ने हरीश पाल के खिलाफ कुर्की वारंट जारी किया था। शनिवार को अदालत ने उसे न्यायिक हिरासत में लेकर नैनीताल जेल भेज दिया था। 2001 में ममता की शादी हरीश के साथ हुई थी। दोनों के बीच संबंध बिगड़ने पर दूरियां बढ़ गईं थी। पत्नी ने मकान पर कब्जा करने के बाद उसके खिलाफ भरष पोषण का मुकदमा अदालत में दायर कर दिया था। पैसा नहीं देने पर अदालत ने धारा 125 के तहत कुर्की वारंट जारी किया था।

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