देहरादून : उत्तराखंड में अक्सर देखा गया है कि मंत्री-विधायक अपने साथ अपने बच्चों को आगे बढाने के लिए कमर कसते हैं. ऐसे कई मंत्री विधायक हैं जो अपने बच्चों को राजनीती में लाना चाहते हैं और बड़ा पद दिलाना चाहते हैं जिससे कहीं ना कहीं पार्टी के अन्यकर्ताओं में असंतोष पैदा होती है क्योंकि कई कई सालों से कार्यकर्ता पार्टी के लिए काम करते आ रहे हैं।
अब स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल को ही देख लीजिए… उपनल में नौकरी लगने को लेकर चर्चाओं में आए उनके बेटे एक बार फिर से सुर्खियों में आ गए हैं और उनके पुत्र एक बार फिर से खाली हाथ रह गए हैं। आपको बता दें कि बीते दिन ही प्रेमचंद अग्रवाल के बेटे पीयूष अग्रवाल को सीएम का सलाहकार बनाया गया था। लेकिन कार्यभार लेने से पहले ही यह आदेश निरस्त कर दिया गया। खास बात ये है कि पीयूष अग्रवाल को त्रिवेंद्र सरकार के समय में उपनल के माध्यम से जल संस्थान में जेई की दी गई थी। उस समय भारी हंगामा होने पर उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी थी।
विगत दिवस प्रभारी सचिव विनोद कुमार सुमन की ओर से जारी एक आदेश में कहा गया है कि पीयूष अग्रवाल को मुख्यमंत्री के सलाहकार पद पर नियुक्त किया जाता है। लेकिन बुधवार को यह आदेश पीयूष के कार्य़भार ग्रहण करने से पहले ही निरस्त कर दिया गया। शासन स्थित सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है। अहम बात यह भी है कि पीयूष को इससे पहले त्रिवेंद्र सरकार के समय में उपनल के माध्यम से जल संस्थान में नौकरी मिली थी। साथ ही मेयर सुनील उनियाल गामा की पुत्री को भी इसी तरह से नौकरी में रखा गया था। दोनों मामले सोशल मीडिया में खासे चर्चित रहे थे। इसके बाद पीयूष ने नौकरी छोड़ दी थी। इंजीनियर की नौकरी छोड़ने वाले पीयूष को सीएम के सलाहकार जैसे भारी-भरकम पद से भी महरूम होना पड़ा है।
इसके अलावा काशीपुर निवासी राजू सिंह बिष्ट को मीडिया कोआर्डिनेटर, दिल्ली निवासी पूरन चंद्र नैनवाल को मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, उत्तरकाशी निवासी किशोर भट्ट को जन संपर्क अधिकारी, ऊधमसिंह नगर निवासी रविंद्र सिंह को कोआर्डिनेटर (सामाजिक न्याय), चमोली निवासी दलबीर सिंह दानू को कोआर्डिनेटर और सितारगंज निवासी आनंद मोहन रतूड़ी को कोआर्डिनेटर (स्वास्थ्य) बनाया गया है।