क्या उत्तराखंड में अफसरों के बाद सफेदपोश बेलगाम हो गये हैं? क्या मंत्री पिता के विभागों में मंत्री का परिवार ही करेगा काम? परिवारवाद को बढ़ावा

देहरादून : उत्तराखंड में अफसरशाही बेलगाम है इस पर चर्चा खूब हुई और एक्शन भी सीएम ने लिया। लेकिन उत्तराखंड में सिर्फ अफसर‌ही‌ नहीं मंत्री विधायक भी बेलगाम हो चले हैं। सरकार के मंत्री, विधायकों ने कयी मौकों पर सरकार की किरकिरी कराई‌ है। कई बार ऐसा भी हुआ है कि जँहा एक ओर संगठन को विश्वास में लिए वगैर ही धामी सरकार ने बड़े बड़े फैसले लिए तो वंही मंत्रियों ने भी सरकार व संगठन के कार्यकर्ताओं को दरकिनार करते हुए अपने परिवार को मजबूत करने का काम शुरू किया जिससे धामी सरकार और उनके मंत्रियों की किरकिरी हो रही है।

उत्तराखंड के माननीय‌‌ने कयी बार ऐसा काम किया जिससे उत्तराखंड की छवि धूमिल हुई‌‌ और विपक्ष ने सरकार को जमकर घेरा। मंत्रियों के कारनामें से भी सरकार को विरोध का सामना करना पड़ा है।

ताजा मामला टिहरी झील में हाउसबोट(क्रूज) संचालन की टेण्डर प्रक्रिया में मंत्री के बेटे व जिलापंचायत अध्यक्ष के पति का नाम आने से स्थानीय लोगों और बीजेपी कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध सुरु कर दिया है।

आपको बता दे कि टिहरी झील में हाऊसबोट(क्रूज) संचालन हेतु आवेदन मांगे गए थे जिसमें दो हाउसबोटों की अनुमति है जिसके लिए 6 आवेदन TADA को प्राप्त हुए , जिसकी प्रजेंटेशन 28 अगस्त को जिलाधिकारी ने अपने कार्यालय में रखी है। इसमे गौर करने की बात यह है कि उपरोक्त विभाग(TADA) जिस पर्यटन मंत्रालय के अंतर्गत आता है उसके मंत्री सतपाल महाराज है और उनके पुत्र सुयेश रावत ने इसमें आवेदन किया है और दूसरा बड़ा नाम टिहरी जिला पंचायत की अध्यक्षा के पतिदेव रघुनाथ सिंह सजवान (जो स्वयं भी जिला पंचायत के सदस्य हैं) ने भी आवेदन किया. इन दोनों नामो के आने के बाद अन्य आवेदक जो टेक्निकल तौर पर तो पास हो गए लेकिन जब जिलाधिकारी कार्यालय में 28 अगस्त को इन सभी की प्रेजेंटेशन होगी उसमे सतपाल महाराज के पुत्र और जिलापंचायत अध्यक्षा के पति को साक्षात्कार लेने वाली समिति कैसे फेल करेगी क्योकि इस चयन समिति में जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी भी सदस्य होते है।

ऐसे में जो स्थानीय लोग सालों से वहां काम कर रहे हैं और इस आवेदन का इंतजार कर रहे हैं इसको लेकर रोष है। सूत्रों की माने तो इस मामले को लेकर अन्य आवेदकों ने पारदर्शिता का हवाला देते हुए जिलाधिकारी टिहरी व मुख्यमंत्री धामी को शिकायती पत्र लिखा है और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष से भी इसकी शिकायत की है।

देखने वाली बात यह होगी कि आखिर सरकार इसमें क्या एक्शन लेती है

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