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देहरादून : राष्ट्रपति चुनाव का परिणाम आ गया है. देश को 15वीं राष्टपति के रुप में द्रोपदी मुर्मू मिलीं हैं जिन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत पार्षद बनकर की। वहीं अब राष्ट्रपति चुनाव को लेकर उत्तराखंड में हड़कंप मच गया है. कांग्रेस सोच में डूबी है वो इसलिए क्योंकि उत्तराखंड में क्रॉस वोटिंग हुई है, कांग्रेस में हड़कंप मचा हुआ है कि आखिर ये क्रॉस वोटिंग किसने की. वहीं भाजपा खुश है वो उस विधायक का आभार जता रही है जिसने क्रॉस वोट किया।
लेकिन विपक्ष इसकी जानकारी प्राप्त करना चाह रहा है कि आखिर वो कौन से विधायक हैं, जिन्होंने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के पक्ष में वोट नहीं डाला. सवाल यही है कि आखिर कांग्रेस के किस विधायक ने क्रॉस वोटिंग की है?
आपको बता दें कि उत्तराखंड में 70 विधानसभा सीटे हैं. जिसमे से बीजेपी के पास 47 और कांग्रेस के पास 19 विधायक हैं. वहीं दो निर्दलीय और दो बसपा के विधायक हैं. दोंनों निर्दलीय और दोनों बसपा के विधायकों ने पहले ही एनडीए के उम्मीदवार को समर्थन दे दिया था. कुल हुए 47+4 यानी 51 सदस्यों के वोट मुर्मू को गए।
वहीं मतदान के दिन सेहत खराब होने के कारण कैबिनेट मंत्री चंदनराम दास ने वोट नहीं दिया.मतलब की मुर्मू के समर्थन में 51 की जगह 50 वोट होने चाहिए थे. गणित तब गड़बड़ा गया, जब कांग्रेस के भी दो विधायकों राजेंद्र भंडारी और तिलकराज बेहड़ ने भी वोटिंग नहीं की, फिर भी 17 में से 15 वोट ही यशवंत सिन्हा के पक्ष में पड़े और मुर्मू के पक्ष में 51. वहीॆं एक वोट को अवैध माना गया. अब ये साफ नहीं हो पाया है कि ये वोट किस विधायक का था.
इन आंकड़ों से साफ है कि कांग्रेस के 1 विधायक की क्रॉस वोटिंग संभवना है, लेकिन सवाल यह है कि आखिर किस कांग्रेस के विधायक ने पार्टी के पीठ में छुरा घोंपते हुए विपक्षी पार्टी के उम्मीदवार को वोट दिया. इससे कांग्रेस में हलचल मची हुई?