उत्तराखंड में सैनिटाइजर को लेकर बड़ा खुलासा, हो सकती है मौत तक, जानिए जिले वार हाल

देहरादून : उत्तराखंड सहित देशभर में कोरोना की दस्तक के बाद सैनिटाइजर की खपत बढ़ गई। जिसके बाज बाजारों में कई तरह के सैनिटाइजर बिक्री के लिए आए। लोगों ने सुरक्षा को देखते हुए महंगे से महंगे और अच्छे से अच्छे सैनिटाइजर खरीदे ताकि वो कोरोना से सुरक्षित रहें लेकिन क्या आप जानते है एक शोध में उत्तराखंड में बिकने वाले सैनिटाइजर को लेकर बड़ा खुलासा किया है। जी हां बता दें कि ये खुलासा स्पेक्स द्वारा एक अध्ययन के बाद किया गया है। स्पेक्स का दावा है कि, अधिकतर सैनिटाइजर जो बाजारों में हैं वो मानकों के अनुरूप नहीं हैं. लगभग 56 प्रतिशत सैनिटाइजर में अल्कोहल मानकों के अनुरूप नहीं पाया गया. 1050 नमूनों में से 578 नमूने फेल पाए गये.

56 फीसदी सैनिटाइजर में अल्कोहल मानकों के अनुरूप नहीं पाए गए

स्पेक्स ने बताया कि सैनिटाइजर टेस्टिंग अभियान में 1050 में 578 नमूने फेल हुई. 56 फीसदी सैनिटाइजर में अल्कोहल मानकों के अनुरूप नहीं हैं. 8 नमूनों में मेथेनॉल पाया गया है. 278 नमूनों में टॉक्सिक रंग पाया गया.टेस्टिंग में हुए इस खुलासे के बाद आपको ये भी बता दें कि, आपके सैनिटाइजर में क्या होना चाहिए. एक सही सैनिटाइजर में क्या-क्या होना चाहिए, ये भी जान लीजिए.

सैनिटाइजर में क्या होना चाहिए

अल्कोहल की प्रतिशत मात्रा 60 से 70 प्रतिशत हो. हाइड्रोजन परऑक्साइड की मात्रा 0.5 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. सैनिटाइजर में मेथनॉल नहीं होना चाहिए.

मौत तक हो सकती है

मानकों के विपरीत बनाये गये सैनिटाइजर पर ये भी दावा किया गया है कि नकली सैनिटाइजर से लोगों की मौत तक हो सकती है. मेथनॉल त्वचा को ख़राब भी कर सकता है, जिससे ड्रमेटाइटिस हो सकता है. तीव्र मेथनॉल की मात्रा होने से सिरदर्द, कमजोरी, उनींदपर, मिचली, सांस लेने में कठिनाई, आंखों में जलन के साथ-साथ बेचैनी के साथ संभवत: मौत भी हो सकती है.

‘स्पेक्स’ जिसकी प्रयोगशाला विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार द्धारा मान्यता प्राप्त है, उसके अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि, इनके द्वारा मार्केट में बिक रहे सैनिटाइजर और घरों में लोगों द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे सैनिटाइजर को लेकर उनका परीक्षण किया गया.

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