देहरादून : सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे लेंसडाउन के भाजपा विधायक/तथाकथित महंत दिलीप सिंह रावत द्वारा सड़क परिवहन विभाग के अधिकारी को सरेआम धमकाने वाले दुस्साहसी वीडियो पर उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्ति की है ।
गरिमा दसौनी ने शनिवार को कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से वार्ता के दौरान उत्तराखंड में लगातार भाजपा के मंत्रियों और विधायकों द्वारा किए जा रहे सत्ता के नग्न प्रदर्शन पर भाजपा को घेरा।दसौनी ने कहा कि आज लगातार उत्तराखंड भाजपा के बाहुबली मंत्रियों और विधायकों की वजह से राष्ट्रीय पटल पर शर्मसार हो रहा है ।
गरिमा दसौनी ने कहा की एक जनप्रतिनिधि का आचरण युवा पीढ़ी के लिए अनुसरणीय और अनुकरणीय होना चाहिए और एक जनप्रतिनिधि से अपेक्षाएं और भी बढ़ जाती है यदि वह एक महंत हो,परंतु उत्तराखंड में जिस तरह से लगातार अधिकारियों के बेलगाम होने की चर्चाएं होती हैं उसके उलट बेलगाम, निरंकुश और सत्ता के अहंकार में आकंठ डूबे हुए तो सत्ता रूढ़ दल के मंत्री और विधायक नजर आ रहे हैं।
गरिमा दसौनी ने कहा कि यदि प्रदेश के मुखिया और भाजपा संगठन के मुखिया ने शुरुआती दौर में ही इन प्रकरणों को गंभीरता से लिया होता तो लगातार इस तरह की घटनाओं में इजाफा नहीं होता।
गरिमा दसौनी ने याद दिलाते हुए कहा कि चाहे वह देहरादून के अंसल ग्रीन वैली में उद्योगपति प्रवीण भारद्वाज के वहां एक मंत्री के इशारे पर पांच पार्षदों के द्वारा भारद्वाज के घर पर किया गया हमला हो या फिर शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा सरे बाजार एक व्यक्ति को पीटे जाने का प्रकरण ,भाजपा ने किसी भी स्तर पर इन घटनाओं को गंभीरता से नहीं लिया और कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही नहीं की।आए दिन उत्तराखंड में अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के बीच में खाई बढ़ती चली जा रही है ,इसका कारण भाजपा के वर्तमान जनप्रतिनिधियों का बर्ताव भी है ।
गरिमा दसौनी ने कहा की एक तरफ उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर सम्मिट की तैयारी कर रहा है वहीं दूसरी ओर प्रदेश में कानून व्यवस्था का बुरा हाल है ,कभी देहरादून के एक ज्वेलरी शोरूम में दिनदहाड़े करोड़ों की डकैती हो जाती है तो कभी उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में 17 दिनों तक 41 मजदूर फंसे होने की वजह से उत्तराखंड की राष्ट्रीय पटेल पर फजीहत होती है, दसौनी ने कहा की जैसे ही टनल का प्रकरण सुलझा तो उत्तरकाशी के एक रिसॉर्ट में 19 वर्षीय अमृता की हत्या के प्रकरण ने उत्तराखंड को झकझोर दिया है ।
गरिमा दसौनी ने कहा कि यदि अंकिता भंडारी के प्रकरण को सरकार और प्रशासन ने गंभीरता से लेते हुए अंकिता के हत्यारे और दुष्कर्मियों को सख्त से सख्त सजा दिलवा दी होती और उत्तराखंड की आत्मा को छलनी कर देने वाली उस घटना पर कंबल डालने का प्रयास न किया होता तो आज उत्तरकाशी के रिसोर्ट में 19 वर्षीय अमृता को बचाया जा सकता था , अमृता हत्याकांड में आरोपियों के मंसूबे इसीलिए मजबूत हुए क्योंकि अंकिता के अपराधियों को उत्तराखंड आज तक सजा नहीं दिलवा पाया है।दसौनी ने कहा कि आज महिला अपराध में उत्तराखंड ने यूपी और बिहार को भी पीछे छोड़ दिया है। उत्तराखंड की बेटियां लगातार उत्पीड़न और शोषण का शिकार हो रही है ,बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा सिर्फ नारा बन कर रह गया है और जुमलेबाजों के मुंह पर अंकिता भंडारी और उत्तरकाशी का अमृता प्रकरण एक तमाचे के समान है।
गरिमा दसौनी ने कहा की उत्तराखंड सरकार पिछले 8 वर्षों से एक लोकायुक्त उत्तराखंड में नियुक्त नहीं कर पाई है। हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद भी सरकार लगातार समय मांग रही है।दसौनी ने कहा की पिछले वर्ष अगस्त 2022 में हाई कोर्ट ने सख्ती से आदेश दिए थे कि सरकार 3 महीने के अंदर उत्तराखंड में लोकायुक्त नियुक्त करें लेकिन सरकार ने उच्च न्यायालय से अब अगले वर्ष मार्च तक का मांगा है इससे पता चलता है कि धामी सरकार की प्राथमिकताएं क्या है।
दसौनी ने कहा की उत्तराखंड की कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है ,सरकार अब तक उत्तराखंड को एक पूर्णकालिक डीजीपी तक का नाम तय नहीं कर पाई है, वही पूर्व डीजीपी जाते-जाते उत्तराखंड में सफेद पोस्ट अपराध व्याप्त होने की बात कह चुके हैं दसोनी ने कहा कि पूर्व डीजीपी अशोक कुमार ने अपनी विदाई से पहले जिस तरह से प्रदेश में भू माफिया खान माफिया शराब माफिया परीक्षा माफिया इत्यादि के हावी होने की बात स्वीकार की है.वह सीधे-सीधे विपक्ष के द्वारा लगातार लगाए जा रहे आरोपो की पुष्टि करता है और साथ ही साथ सरकार की संवेदनशीलता को समझा जा सकता है।
दसौनी ने कहा की प्रदेश में नगर निकाय, नगर पालिकाएं- अध्यक्ष और मेयर विहीन हो चुकी है,प्रदेश के विद्यालयों से हेड मास्टर प्रधानाचार्य नदारद हैं उत्तराखंड के विद्यालय क्लर्कों के हवाले कर दिए गए हैं।
उत्तराखंड भ्रष्टाचार और घोटालों का प्रदेश बन गया है ऐसे में दोनों महत्वपूर्ण पदों लोकायुक्त और “पूर्णकालिक” डीजीपी का न होना सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करता है। गरिमा दसौनी ने कहा की उत्तराखंड सरकार भरोसे नहीं राम भरोसे चल रहा है, ऐसे में इन्वेस्टर समिट के के लिए उत्तराखंड को सबसे मुफीद प्रदेश कैसे बता सकते हैं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी?