उत्तराखंड : ये हिरण नहीं इनकी संतान है, थाली में खिलाते-बोतल से पानी पिलाते, अब इस बात का है दुख

चमोली : कई लोग जानवरों से इतना प्रेम करते हैं कि उसी के साथ खाते हैं और उसको अपने बिस्तक में सुलाते हैं। आपने अक्सर डॉगी प्रेमियों को देखा होगा जो उन्हें अपनो की तरह पालते हैं। जो खुद खाते हैं उसे भी खिलाते हैं औरसाथ ही उसके लिए कपड़े तक सिलवाते हैं। जहां जाते उसे घुमाने ले जाते हैं। वहीं बता दें कि गायों से भी लोग प्रेम करते हैं उसे अपनी मां के समान मानकर पूजते हैं। लेकिन चमोली के एक गांव में एक दंपति ऐसी है जो 18 महीनों से एक एक हिरण को अपनी संतान की तरह पाल रहे हैं जो की चर्चाओं का विषय बना हुआ है। उनका हिरण के लिए ये प्रेम देख हर कोई उनसे मिलने आ रहा है।

बता दें कि मामला चमोली के केवर गांव का है जहां दर्शन लाल और उनकी धर्मपत्नी उमादेवी एक हिरण को 18 महीने से अपनी संतान की तरह पाल रहे हैं। उसे घुमाते फिराते हैं उसे प्यार से अपने हाथों से खाना खिलाते हैं और साथ ही दूध की बोलत से पानी पिलाते हैं जो की मन मोह रहा है लेकिन अब उनको चिंता सताने लगी है क्योंकि ये हिरण यानी नेमोरहिडस गोरल अब बड़ी हो चुकी है तो इस दंपति ने इसे वन विभाग को सौंपने का फैसला लिया है। इस दंपती ने जानवरों के प्रति प्रेम को दिखा कर देश प्रदेश को अच्छा संदेश दिया है। एक ओर जहां तस्कर पैसे कमाने के लिए बेजुबां जानवरों मार काट रहे हैं इश बीच इस दंपती ने उनको संदेश दिया है कि जानवरों से प्यार करों और प्रदेश की प्राकृति को बचाकर रखो। इस दंपति ने जानवर प्रेम को चरितार्थ किया है।

बता दें कि पिछले साल 4 मार्च 2020की है।जब केवर गांव की उमादेवी अपने जंगल में चारा पत्ति लेने गई थी।तब उन्होंने जंगल में एक नवजात हिरण का बच्चा पड़ा हुआ मिला।उमा देवी ने बताया कि उसने यह सोचकर उसे नहीं छेड़ा कि हो सकता है कि यह अभी पैदा हुआ है और इसकी मां भी यहीं कहीं होगी।वे कहती हैं जब वह दूसरे दिन भी घास लेने गई तो वह हिरण का बच्चा उसी स्थान पर बेसुध पड़ा हुआ था।तो वह घास काटना छोड़कर उसी समय उसे घर ले आई।और फिर उसको बच्चे की तरह पालने लगे।उसका बकायदा नाम जूली रखा गया।

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