एक ओर देवभूमि उत्तराखंड में भू कानून लागू करने का मुद्दा छाया हुआ है तो वहीं दूसरी ओर चमोली का मुद्दा चर्चाओं में है। बता दें कि चमोली के गैरसैंण के पास स्थित बेनीताल बुग्याल पर निजी संपत्ति का बोर्ड देखकर राज्य भर के लोगों के मन में प्रश्न उठने लगे हैं. टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है कि पूरा का पूरा घास का मैदान और ताल किसी ने पाने कब्जे में कर यहां निजी संपत्ति का बोर्ड लगा दिया है.
चमोली जिले में स्थित बेनीताल को पर्यटक स्थल बनाने की बात वर्षों से उत्तराखंड की सरकार कर रही है. बेनीताल वही स्थल है जहां बाबा मोहन उत्तराखंडी ने गैरसैंण राजधानी के लिए 2 जुलाई से 8 अगस्त 2004 तक 37 दिन का आमरण अनशन किया था. 2012 में इसे पर्यटक स्थल के रूप में स्थापित करने संबंधी प्रस्ताव तक कैबिनेट पारित कर चुकी है. स्थानीय लोगों का कहना है कि निजी संपत्ति का यह बोर्ड इसी वर्ष देखने को मिला है. निजी संपत्ति के इस बोर्ड में लिखा गया है कि भूमि अंग्रेजों से ली गयी है. इस पूरे मामले को सामने लाने वाले स्थानीय पर्यावरणकर्मी मुकुंद कृष्ण दास ने पूरे मामले की जांच की मांग करते हुये अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा है।
वहीं बता दें कि इस मुद्दे पर यूकेडी ने हल्ला बोल किया और यूकेडी के नेता बुग्याल पर पहुंचे जहां ये बोर्ड लगा है। यूकेडी के नेता रमेश खंडूरी और उनकी टीम ने बोर्ड को उखाड़ फेंका।उमेश खण्डूड़ी ने वरिष्ठ नेता के एल शाह व यूकेडी के अन्य कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर अतिक्रमण को हटाया।खण्डूड़ी ने कहा कि, खुद उनके परदादाओं के समय से ये यहां के गांवों का गौचर क्षेत्र था तो कैसे ये जमीन किसी एक की हो सकती है।यदि आज नहीं जागे तो पूरा पहाड़ बिक जाएगा।एक नए सशक्त भूक़ानून की अब सख्त जरूरत है।











