राजनीति के मैदान में आज तक आपने सीट को लेकर, टिकट को लेकर नेताओं के बीच खींचतान अक्सर देखी होगी। चुनाव लड़ने के लिए कई नेता किसी भी हद तकचले जाते हैं। लेकिन मोदी सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच किसी टिकट या सीट को लेकर नहीं बल्कि अलग ही खींचतान चल रही है। आपको बता दें कि हरिद्वार से सांसद रामेश पोखरियाल निशंक और नए नागरिक उड्डयन मंत्री बने ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच 27 नंबर बंगले को लेकर खींचतान मची है।
आपको बता दें कि हरिद्वार से सासंद और पूर्व मोदी कैबिनेट के मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने पद से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद उन्हें 27 सफदरजंग रोड स्थित बंगले को एक महीने के अंदर खाली करना है लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया है। बतौर मंत्री रहते उन्हें ये बंगला मिला था लेकिन अब उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया है। नियम के अनुसार बंगले को 1 महीने में खाली करना था।
मिली जानकारी के अनुसार रमेश पोखरियाल निशंक को इस बंगले में रहने की डायरेक्ट्रेट ऑफ एस्टेट्स से इसकी अनुमति मिल गई है। अब खींचतान यहां हो रही है कि इसी बंगले(सफदरजंग के मकबरे के पास लुटियन दिल्ली 27) में नए नागरिक उड्डयन मंत्री बने ज्योतिरादित्य सिंधिया रहना चाहते हैं। क्योंकि उनका इससे खासा लगाव है।
आपको बता दें कि इस बंगले में सिंधिया परिवार लंबे समय से रहता आ रहा है। खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी 2019 में लोकसभा चुनाव हारने तक इसी बंगले में रह रहे थे। इससे पहले उनके पिता माधवराव सिंधिया भी सालों तक इसी बंगले में रहे और यहीं उन्होंने अंतिम सांस ली जिसके चलते सिंधिया का इस बंगले से खासा लगाव है।इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार बीते साल जब वह बीजेपी में शामिल हुए तो उन्हें 3 बंगले ऑफर किए गए थे लेकिन उन्होंने उनको लेने से इनकार कर दिया। वो अभी आनंद लोक में स्थित अपने निजी आवास में ही रह रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 1980 में माधवराव सिंधिया को राजीव गांधी की कैबिनेट में मंत्री बनाया गया था। तब उन्हें यह बंगला मिला था और यहीं वह अपनी मीटिंग भी करते थे। बता दें कि नेताओं के बीच बंगलों को लेकर इस तरह का आग्रह नया नहीं है। हाल ही में एलजेपी के नेता चिराग पासवान को भी उनके उस घर को खाली करने का आदेश दिया गया था, जिसमें बतौर मंत्री रामविलास पासवान रहा करते थे। चिराग पासवान ने इसमें बने रहने के लिए गुहार भी लगाई थी, लेकिन अंत में उन्हें इसके लिए आदेश दिया गया है।
बंगले को लेकर भाजपा के दिग्गजों केबीच ये खींचतान चर्चाओं का विषय बना हुआ है। अखबारों की हेडलाइन छप रही है कि रमेश पोखरियाल और सिंधिया के बीच बंगले को लेकर खींचतान है। देखने वाली बात होगी कि आखिर निशंक बगले में पैर जमाए रहते हैं या सिंधिया को ये बंगला मिलता है।