रुड़की : उत्तराखंड में सत्ता की हनक दिखी। बता दें कि सत्ता की हनक के चलते भाजपा कार्यकर्ताओं ने ईमानदार पुलिस ऑफिसर का ट्रांसफर करा दिया। बता दें कि बीते दिन कोतवाली में हुए हंगामे और मारपीट के बाद मंगलौर कोतवाली के कोतवाल यशपाल बिष्ट का ट्रांसफर हो गया है। वहीं इनकी जगह इंस्पेक्टर अमरचंद शर्मा को कोतवाल का पदभार सौंपा गया है। वहीं आपको बता दें कि जिस आरोपी को छुड़ाने भाजपा कार्यकर्ता कोतवाली गए थे, उसने ठगी की थी जिसके आऱोपी में पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था। वहीं अब पीड़ित परिवार ने सरकार और पुलिस विभाग को साफ चेतावनी दी कि अगर कोतवाल का ट्रांसफर होता है तो वो आत्मदाह करेंगे क्योंकि पुलिस ने आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की है तो इसमे गलत क्या है।
ये है पूरा मामला
आपको बता दें कि बीते दिनों मंगलौर कोतवाली पुलिस ने ठगी के आरोपी को गिरफ्तार किया था। वहीं थोड़ी देर बाद भाजपा नेता उसे छुड़ाने कोतवाली पहुंचे थे। छोड़ने से इंकार करने पर कार्यकर्ताओं ने कोतवाली के बाहर धरना दिया था और नारेबाजी की थी। ये मामला तूल पकड़ता गया और कोतवाल के दफ्तर में पुलिस और पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच जमकर गाली ग्लौच हुई।यहां तक की पुलिस ने लाठी डंडे से पीटकर भदाया। वहीं इसके बाद नेता और कार्यकर्ता पुलिस की शिकायत के लिए सीएम के पास पहुंचे थे।
परिवार ने दी कोतवाल का ट्रांसफर करने पर आत्मदाह की चेतावनी
एक और झबरेड़ा विधायक भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ मंगलौर कोतवाल के स्थान्तरण को लेकर मुख्यमंत्री दरबार में पहुँचे. वही ठगी मामले में पीड़ित पक्ष ने आज प्रेस वार्ता कर भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ ठगों का साथ देने का आरोप लगाया। पीड़ित पक्ष ने बताया कि अब से 2 वर्ष पहले रियालाइन्स कंपनी का डिस्टिब्यूशन दिलाने के नाम पर 5 लोगों ने उनके साथ ठगी की थी। जिसकी तहरीर उनकी पत्नी के द्वारा मंगलौर कोतवाली में दी गई थी। जिसके आधार पर पुलिस ने एक आरोपी को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था। जिसके बाद भाजपा के नेताओ ने मंगलौर कोतवाली का घेराव कर दिया और यह हाई टेक मामला देर रात तक चलता रहा। जिसके बाद पुलिस और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच झड़प भी हुई थी। आज पीड़ित पक्ष ने प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि भाजपा नेता पुलिस पर दबाव बनाकर ठगी के मामले की जाँच को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर मंगलौर कोतवाल का स्थानांतरण किया जाता है, तो वह आत्मदाह करने को बाध्य होंगे। क्योंकि उनके इस मामले में उन्हें आर्थिक नुकसान हो सकता है।
लोग ये सवाल उठा रहे हैं कि आखिर सत्ता की हनक कब तक चलेगी। कब तक पुलिस अधिकारियों औऱ कर्मचारियों पर दबाव बनाया जाएगा और आरोपियों को छुड़ाया जाएगा। इससे राज्य में अपराध कम नहीं होगा बल्कि अपराध बढ़ेगा। अपराध और अपराधियों को बढ़ावा मिलेगा। कोतवाल का ट्रांसफर से साफ है कि उत्तराखंड में सत्ता का नशा सिर चढ़कर बोल रहा है। पुलिस की क्या इतनी गलती थी कि उन्होंने आरोपी को पकड़ा था।