उत्तराखंड सेना के जवानों का गढ़ है। सबसे अधिक सैनिक उत्तराखंड से ही हैं जो देश की रक्षा कर रहे हैं। वहीं अपनी बहादुरी से उत्तराखंड के जवानों ने प्रदेश समेत देश का नाम रोशन भी किया है। ऐसे ही तीन जांबाज अफसर हैं जिन्हें सम्मानित किया गया है।
कीर्ति चक्र से सम्मानित होने पर सैन्यभूमि उत्तराखण्ड के जाँबाज़ पैरा कमांडो मेजर दिग्विजय सिंह रावत को, शौर्य चक्र से ग्रेनेडियर्स 55वीं बटालियन के मेजर सचिन नेगी को और आर्म्ड कोर, 44वीं बटालियन के मेजर रविंदर सिंह रावत को सम्मानित किया गया।जवानों को मिले सम्मान से प्रत्येक उत्तराखण्डवासी गौरवान्वित है।
अद्मय साहस और अनुकरणीय नेतृत्व के लिए मेजर रविन्द्र शौर्य चक्र से सम्मानित
मेजर रविन्द्र सिंह रावत 44 राष्ट्रीय राइफल्स में कार्यरत थे। उनके बटालियन द्वारा इनके नेतृत्व में आतंकवादियों के विरोध में संचालित किए गए 11 सफल अभियानों में 28 कट्टर आतंक वादियों का सफाया किया गया।इसी अन्तराल में 30 अगस्त 2022 को जम्मू कश्मीर के शोपियां जिला के एक गांव में तीन आतंकवादी मुठभेड़ से भाग रहे थे। जिस पर मेजर रावत ने अपना अचूक निशाना लगा कर ढेर कर दिया। तत् पश्चात दो आतंकवादी किसी भीड़ में छुपकर भागने का प्रयास कर रहे थे। जिनका पीछा करते हुए । मेजर रावत ने अपनी जान के परवाह न करते हुए। असाधारण पहल करके एक कुख्यात आतंकवादी को वहीं पर ढेर कर दिया। जो पहले भी सेना के घेरे से निकल कर नुकसान पहुंचा चुका था।
इस अद्वितीय साहस ,अनुकरणीय नेतृत्व और सर्वोच्च वीरता प्रर्दशन पर 5 जुलाई 2024 को न्यू दिल्ली राष्ट्रपति भवन में महामहिम राष्ट्रपति महोदया जी ने मेजर रविन्द्र सिंह रावत जी को शौर्य चक्र से सम्मानित किया।मेजर रविन्द्र सिंह रावत (शौर्य चक्र ) सूबेदार मेजर (से. नि) बादर सिंह रावत के सुपुत्र हैं। जो कोर आफ़ सिग्नल रेजिमेंट से सेवा निवृत्त हैं। रावत स्वयं एक समाजसेवी हैं। इनका पैतृक गांव गौचर (अंगोत) जिला चमोली गढ़वाल है। हाल निवास सेवला कलां देहरादून मे है। आप का परिवार सैनिक पृष्ठभूमि से पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है। रावत के दादा स्वर्गीय बालम सिंह रावत भी सेना से सेवानिवृत थे ।और आपकी बड़ी बहिन शशि रावत भी इस वक्त आर्मी मेडिकल कोर में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर सेवारत है । तथा आपके परिवार में दोनों चाचा रणवीर सिंह रावत और श्री गोविंद सिंह रावत भी सेना से सेवानिवृत्ति है ।