देहरादून : देहरादून के कारगी चौक के नजदीक बंजारावाला रोड़ पर प्यारी पहाड़न के नाम से एक रेस्टोरेंट खुला है। लेकिन इस रेस्टोरेंट के नाम पर हंगामा किया खुद को क्रांतिकारी बताने वाले युवक सुरेंद्र सिंह रावत ने। आखिर कुछ लोगों को इस नाम से एतराज क्यों है। क्या खराबी है इस नाम पर। उन लोगों को छकना बांद, फुरकी बांद गाने से क्यों एलर्जी नहीं है।।
आपको बता दें कि 27 साल की पौड़ी गढ़वाल की बेटी प्रीति मंडोलिया ने देहरादून के कारगी चौक के पास उत्तराखंडी व्यंजनों को बढ़ावा देने के लिए एक रेस्टोरेंट का नाम प्यारी पहाड़न रखा। बीते दिन रेस्टोरेंट के ऑपनिंग के वक्त एक युवक हाथ में फोन लिए वहां आता है और प्रीति से इस नाम को लेकर अपमानित होने की बात कहता है और जमकर हंगामा करता है। पहाड़ की बेटी प्रीति को डराया धमकाया जाता है और बोर्ड को हटाने के लिए कहा जाता है। सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर इश नाम में बुराई क्या है। हमें तो इस नाम में बुराई नजर नहीं आता है। हम तो इस रेस्टोरेंट में जाएंगे भी और खाएंगे भी।
इस पर प्रीति का कहना है देहरादून में कई ऐसे संस्थान पहाड़ के नाम से और उत्तराखंड के नाम से रखे गए हैं,उनका आज तक किसी ने विरोध नही किया, प्रीति का कहना है असल में जो लोग विरोध कर रहे हैं उनको पहाड़न शब्द का मतलब ही पता नहीं है, और प्रीति ने कहा पहाड़न का मतलब होता है प्यारी बेटी जो हम गढ़वाल में बोलते है, और इसी पहाड़न के नाम से मैंने एक बिजनेस शुरू किया, कुछ राजनीतिक लोग अपनी राजनीति चमकाने के लिए मुझे परेशान कर रहे है, और प्रीति ने इतना ही नहीं उन लोगों को यह सबक भी सिखाया की प्यारी पहाड़न पर अगर आप लोगों को कोई दिक्कत है तो उत्तराखंड में कई उत्तराखंडी गीत ऐसी भी हैं जिन पर वह लोग कोई शिकंजा नहीं कस पाते हैं, प्रीति ने खुद को ही नहीं अपने साथ अन्य लोगों को भी रोजगार से जोड़ा है
’प्यारी पहाड़न’ आखिर क्यों कुछ लोगों को है एतराज इस नाम से
27 वर्ष की उत्तराखंड की बेटी प्रीति मंडोलिया ने कारगी चौक बंजारावाला के पास उत्तराखंडी व्यंजनों को बढ़ावा देने के लिए खोला प्यारी पहाड़ नाम से एक रेस्टोरेंट खोला है। खुद को क्रांतिकारी बताने वाले सुरेंद्र सिंह रावत नाम के व्यक्ति ने रेस्टोरेंट के आगे आकर जमकर हंगामा किया और महिलाओं को धमकाने का काम किया। लेकिन ये पहाड़ की बेटी है डरने वाली नहीं है। बता दें कि सुरेंद्र सिंह रावत नाम का व्यक्ति खुद को क्रांतिकारी बताकर उत्तराखंड की बेटी को दबाने का काम कर रहा है। किसी को इस नाम से ऐतराज नहीं है और ना ही इसमे कोई खराबी है।
ऐसे लोग छकना बांद, फुरकी बांद जैसे गाने पर क्यों नहीं हल्ला करते लेकिन एक बेटी जो अपना काम शुरु करना चाहती है अपने परिवार का लालन पालन करना चाहती है उसे करने नहीं दिया जा रहा है। उत्तराखंड में सरकार स्वरोजगार की बातकरती है तो क्यों एक बेटी को ये करने से रोका जा रहा है। सुरेंद्र सिंह रावत नाम का युवक जो खुद को क्रांतिकारी बताता है वो छकना बांद, फुरकी बांद जैसे गानों पर हंगामा क्यों नही करता है। क्या ये एक साजिश है। क्या ये सरकार के स्वरोजगार योजना का विरोधी है। ये युव रेस्टोरेंट के नाम को अभद्र बताते हुए उत्तराखंड की बेटी प्रीति को रेस्टोरेंट में घुसकर व फोन पर लगातार टॉर्चर किया व जान हानी होने की लगातार धमकियां दे रहा है।
सरकार को और पुलिस को इसका संज्ञान लेना चाहिए और ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए जो उत्तराखंड की शांति भंग करने और महिला का अपमान करनेका काम कर रहा है। हमें तो इस नाम से ऐतराज नहीं है। हम तो जाएंगे भी और खाएंगे भी।