मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित शिव मंदिर में पूजा अर्चना कर प्रदेश की सुख समृद्धि की कामना की। मुख्यमंत्री आवास स्थित गौशाला में मुख्यमंत्री ने गौ माता से आशीर्वाद लिया। सारे मिथकों से किनारा कर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को न्यू कैंट रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश किया। विधि विधान से पूजा अर्चना कर मुख्यमंत्री धामी ने मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश किया।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत, गणेश जोशी, यतीश्वरानंद, डॉ. धन सिंह रावत, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, मेयर सुनील उनियाल गामा,विधायक हरबंस कपूर, सौरभ बहुगुणा, मुन्ना सिंह चौहान, सहदेव सिंह पुंडीर, खजानदास, शक्तिलाल शाह मौजूद थे।
बंगले को माना जाता है अभिशप्त
बता दें कि इस बंगले को अभिशप्त बताया जाता है कि इस बंगले में जो मुख्यमंत्री रहा, वह सत्ता से ही बेदखल हो गया। कैंट में राजभवन से लगा हुआ मुख्यमंत्री आवास अपनी खूबसूरती के लिए इतना मशहूर नहीं है, जितना सियासी हल्कों में अपनी बदनामी के लिए जाना जाता है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत तो इस बंगले में कभी रहे ही नहीं। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत के कार्यकाल के चार साल पूरे होने से पहले उनकी कुर्सी चली गई।
खिसकती गई मुख्यमंत्रियों की कुर्सियां
इस बंगले के बारे में यहां तक कहा जाता है कि इसके निर्माण के बाद ही नहीं निर्माण के दौरान ही मुख्यमंत्रियों की कुर्सियां खिसकती रही हैं। यह सिलसिला सूबे में कांग्रेस की तिवारी सरकार से शुरू हुआ। उनके वक्त में यह बंगला निर्माणाधीन था। इससे पहले कि तिवारी यहां रहने आते, उनकी सरकार की चली गई। तिवारी सरकार के बाद प्रदेश में आई बीजेपी की सत्ता में सिरमौर बने बीसी खंडूड़ी ने इस अधूरे बंगले को अपनी पसंद के हिसाब से तैयार करवाया। मगर, खंडूड़ी जब इस बंगले में रहने के लिए पहुंचे तो लगभग ढाई साल में ही उनकी कुर्सी खिसक कर डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के पास आ गई।
कार्यकाल पूरा होने के 6 महीने पर गई रमेश पोखरियाल निशंक की कुर्सी
रमेश पोखरियाल निशंक भी इसी बंगले से अपनी सत्ता चलाने लगे लेकिन सरकार का कार्यकाल समाप्त होने के लगभग छह महीने पहले ही निशंक भी तमाम आरोपों के चलते इस कुर्सी से बेदखल हो गए। उनके बाद सत्ता दोबारा बीसी खंडूड़ी के हाथ आई, मगर चुनाव में सरकार ही बदल गई। कांग्रेस की सरकार में मुख्यमंत्री पद पर अपनी ताजपोशी करवाने के बाद विजय बहुगुणा भी इसी आवास में रहने लगे, लेकिन दो सालों में तमाम आरोपों का दाग लिए विजय बहुगुणा भी मुख्यमंत्री पद से हट गए। वहीं पूर्व सीएम हरीश रावत सत्ता में आए लेकिन वो इस बंगले में कभी नहीं रहे। उन्होंने इस बंगले से दूरी बनाए रखी। लेकिन वो भी नहीं टिक पाए। वहीं पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत भी इसी बंगले में रहे और उनका कार्यकाल पूरे होेने के एक साल पहले ही उनकी सीएम द से विदाई हो गई।
वहीं अब इन सब मिथकों को भूल सीएम पुष्कर धामी ने विधि विधान से आवास में प्रवेश किया है। जिसके बाद सभी की दिलों की धड़कनें बढ़ गई है।