उत्तराखंड ब्रेकिंग : घर पहुंचा 26 साल के सचिन का पार्थिव शरीर, अंतिम विदाई में नहीं पहुंचा कोई मंत्री-विधायक, छोटा भाई भी फौजी

देहरादून : देहरादून निवासी और मूलतः कंडवाल गांव नारायणबगड का रहने 26 साल के सचिन आज देश के लिए शहीद हो गए। बता दें कि आज ड्यूटी जाते हुए सेना का ट्रक हादसे का शिकार हो गया और सचिन शहीद हो गए। वहीं आज दोपहर को सचिन का पार्थिव शरीर देहरादून स्थित उनके घर लाया गया। बेटे को ताबूत में देख मां चीख चीख कर रोने लगी और बेहोश हो गई। दादी छाती पीटने लगी। नाते रिश्तेदार रोने लगे। पिता बस एक ही बात बोल रहे थे कि सोनू बहुत हुआ अब उठ जा बेटा। वहीं सैन्य सम्मान के साथ सचिन को अंतिम विदाई दी गई। बहन ताबूत में चिपककप बेठी ऱही और ताबूत को सलाहती रही।

मिली जानकारी के अनुसार सचिन का परिवार पिछले 5 साल से देहरादून के धर्मपुर, अपर सारथी विहार में किराये के मकान में रहता है। जवान बेटे की शहादत की खबर से घर में मातम पसरा हुआ है। आस पड़ोस के लोग परिवार को ढांढस बंधाने उनके घर पहुंचे।

छोटे भाई सौरभ कंडवाल द्रास सेक्टर में 21 गढवाल में तैनात

वहीं सचिन की शहादत से उनके गांव में भी मातम पसरा हुआ है। जानकारी मिली है कि सचिन ने राजकीय इंटर कालेज नारायणबगड से इंटर किया। शुरू से ही मेधावी रहे सचिन ने इंटर 75 फीसद से अधिक अंकों के साथ पास किया। विकल्प तमाम थे, पर मन में ख्वाहिश सैन्य वर्दी की थी। वर्ष 2015 में वह फौज में भर्ती हुए। उनके छोटे भाई सौरभ कंडवाल द्रास सेक्टर में 21 गढवाल में तैनात हैं। वह दून के लिए निकले । बहन रोजी टिहरी में फार्मेसिस्ट है जो दून पहुंची और ताबूत के पास बैठकर रोने लगी।

नहीं पहुंचा कोई मंत्री-विधायक

लेकिन सबसे बुरा इस बात का लगा कि सचिन की अंतिम विदाई में ना तो सीएम पहुंचे और ना ही कोई मंत्री विधायक कार्यकर्ता। सिर्फ देहरादून मेयर सुनील उनियाल गामा शहादत को नमन करने पहुंचे। और पुष्प चक्र अर्पित कर शहीद को श्रद्धांजलि दी। देहरादून रहते हुए भी ना तो सीएम पहुंचे औऱ ना ही देहरादून का कोई मंत्री विधायक सचिन को अंतिम विदाई देना पहुंचा। बीते दिन खटीमा का लाल शहीद हुआ था उसकी अंतिम विदाई में भी सीएम नहीं पहुंच पाए। लेकिन सैन्य धाम बनाने का ऐलान करने वाली सरकार का सचिन की शहादत को नमन ना करने आना वो भी देहरादून में ही रहकर, हैरान करता है।

उनकी बटालियन को गलवान जाना था, बीते साल दिसंबर माह में हुई थी सगाई

मिली जानकारी के अनुसार सचिन हाल में छुट्टी आए हुए थे।  लेकिन उन्हे जल्दी ड्यूटी बुलाया गया और बीती 16 जुलाई को वह वापस ड्यूटी पर लौटे थे। बताया गया कि उन्हें छुट्टी खत्म होने से दो-तीन दिन पहले ही बुला लिया गया। उनकी बटालियन को गलवान जाना था। वह प्रयागराज से कान्वाय में निकले थे, पर मथुरा के पास वाहन दुर्घटनाग्रस्त होने से वह शहीद हो गए। सचिन की बीते साल दिसंबर माह में सगाई हुई थी। परिवार विजयदशमी पर उनकी शादी की सोच रहा था, पर तकदीर ने ऐसा मुंह फेरा कि जिसे सेहरा पहने देखने की ख्वाहिश थी वह अब तिरंगे में लिपटा आएगा। शहीद का पार्थिव शरीर शाम तक दून पहुंच जाएगा। जिसके बाद हरिद्वार में उनकी अंत्येष्टी की जाएगी।

सचिन का परिवास मिसाल

सचिन का परिवार उत्तराखंड की सैन्य परंपरा की जीती जागती मिसाल है। उनके ताऊ भरत प्रसाद कंडवाल व बल्लभ प्रसाद कंडवाल भी फौज से हवलदार पद से रिटायर हैं। भरत के दो बेटे सतीश व संदीप फौज में हैं, जबकि बल्लभ प्रसाद का बेटा तिलक फौज में है। संदीप का छोटा भाई भी फौज में है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *