हर वर्दीधारी की अपनी एक अलग मजबूरी और कहानी होती है फिर चाहे वो सिपाही रैंक का हो या आईपीएस रैंक का अधिकारी। आज जो देहरादून में वारदात हुई उसे देखकर और सोच कर एक वर्दी धारी को लेकर यही कह सकते हैं कि एक वर्दीधारी वर्दी का फर्ज निभाए या रिश्ते संभाले। एक वर्दी धारी के पास चाहे गाड़ी बंगला हो, भरा पूरा परिवार हो लेकिन अगर समय ना हो तो परिवार बेबस हो जाता है भले ही वो अपने परिवार को हर फेसीलिटी दे। किसी की माँ बीमार तो किसी की पत्नी बीमार, किसी पर छोटे छोटे बच्चों की भी जिम्मेदारी। लेकिन पुलिस का पता नही होता की वो समय दे पाएगा या नही। उनका ना रविवार होता ना कोई त्यौहार। जब दिवाली मे़ सब अपने घरों में दीप जलाकर पटाखे फोडकर त्यौहार मना रहे होते हैं तो पुलिसवाले ड्यूटी कर रहे होते हैं।
जी हां देहरादून के बलबीर रोड स्थित जज कॉलोनी में जो आज वाक्या हुआ है उसे देखकर यही कहा जा सकता है कि आखिर वर्दीधारी अपनी ड्यूटी निभाए या परिवार और रिश्तो को संभाले। थाना चौकी की ड्यूटी, तो ट्रैफिक भी संभालना है, वीआईपी ड्यूटी तो अपराध को भी कंट्रोल करना है। दबिश भी देनी है तो चालान भी काटना है ताकि लोग ट्रैफिक नियम का पालन करे। ऐसे में खाकी धारी परिवार को समय नही दे पाता लेकिन अपने परिवार बच्चों को हर सुविधा देता है। ऐसे में परिवार का बच्चों का पत्नी का भी फर्ज बनता है अच्छे से एक दूसरे की देखभाल करें। एक वर्दीधारी ठंड और भरी गर्मी में ड्यूटी करता है लेकिन उसके लिए कौन सोचता है।
यह दर्द भरी कहानी है देहरादून के बलबीर रोड जज कॉलोनी निवासी और मुरादाबाद में पोस्टेड डिप्टी एसपी मलखान सिंह की जिसके बेटे ने अपनी ही मां को सब्बल से उसकी हत्या कर दी। पिता वर्दी में ही देहरादून पहुंचे और अपनी पत्नी को देखते ही रोने लगे। लेकिन वर्दीधारी कठोर दिल के हो जाते हैं। पिता ने खुद को संभाला। वहीं आरोपी बेटा एंबुलेंस में बैठा रहा जब पुलिस ने यह पूछा कि तुम्हें रोटी कौन खिलाता है तो बेटे ने कहा…मां। ऐसे में क्या उसने सही किया यह सवाल भी पुलिस ने किया।
एक मां जो अकेले अपने बेटे को दवा खाना खिलाती थी। उसी को बेटे ने आवेश में आकर मां मौत के घाट उतार दिया और बेहोश हो गया। इसके बाद जब पिता ने पत्नी को फोन किया तो उसने रिस्पांस नहीं दिया जिसके बाद मुरादाबाद में तैनात डिप्टी एसपी मलखान सिंह ने पुलिस को कांटेक्ट करके यह सब बात बताई कि उनकी पत्नी फोन नहीं उठा रही है उन्हें कोई अनहोनी होने का शक है।
पिता वर्दी में ही रोते हुए देहरादून पहुंचे और रजाई में लिपटी पत्नी को देखकर उनकी आंखों में आंसू आ गए वहीं जिस किसी ने घटनास्थल पर मृतक महिला और खून से लथपथ घर को देखा हर किसी ने यही कहा कि आखिर अच्छा खासा परिवार था ऐसा क्यों हुआ। पुलिस के मामले में जांच कर रही है कि आखिर मां बेटे के बीच में ऐसी क्या बात हुई कि बेटे ने मां की हत्या कर दी।
लेकिन यह कहानी हर वर्दी धारी की है क्योंकि एक खाकीधारी आखिर वर्दी का फर्ज निभाए या ड्यूटी करे। चाहे वह सिपाही रैंग का हो या फिर बड़े एसपी एसएसपी रैंक का । उन्हें वर्दी का फर्ज भी निभाना है तो परिवार को भी देखना होता है। ऐसे में हर किसी के आगे यही मजबूरी रहती है अगर शायद मलखान सिंह देहरादून में अपने परिवार के साथ होते तो बेटे पर नजर रख पाते और अपनी पत्नी को बचा पाते लेकिन एक पुलिसवाले के लिए ड्यूटी और वर्दी के फर्ज के आगे कुछ नहीं होता।
मेरी कलम से….